
“मां के चरण……
एक लड़का एक जूतो की दुकान में आता है गांव का रहने वाला था, पर तेज़ था….
उसका बोलने का लहज़ा गांव वालों की तरह का था, परन्तु बहुत ठहरा हुआ लग रहा था… उम्र लगभग 22 वर्ष की रही होगी…
दुकानदार की पहली नज़र उसके पैरों पर ही जाती है उसके पैरों में लेदर के शूज थे, सही से पाॅलिश किये हुए…
दुकानदार — जी कहिए….क्या सेवा करूं….
लड़का — सर….मुझे मेरी मां के लिये चप्पल चाहिये… किंतु टिकाऊ होनी चाहिए..
दुकानदार — क्या वे आपके साथ आई है या उनके पैर का नाप….
लड़के ने अपना बटुआ बाहर निकाला और चार बार फोल्ड किया हुआ एक कागज़ जिस पर पेन से आऊटलाईन बनाई हुई थी दोनों पैर की….दिखाते हुए
वह लड़का बोला …क्या नाप बताऊं साहब…
मेरी मां की ज़िन्दगी बीत गई, पैरों में कभी चप्पल नहीं पहनी….
मां मेरी मजदूर है, मेहनत कर-करके मुझे पढ़ाया…और पढ़ कर अब नौकरी लगी है मेरी…आज़ पहली तनख़्वाह मिली है…दिवाली पर घर जा रहा हूं, तो सोचा मां के लिए क्या ले जाऊं
तो मन में आया कि अपनी पहली तनख़्वाह से मां के लिये चप्पल लेकर जाऊं…
दुकानदार ने अच्छी टिकाऊ चप्पल दिखाई, जिसकी आठ सौ रुपये कीमत थी…चलेगी क्या या कुछ सस्ती….
मगर आगन्तुक लड़का उस कीमत के लिये तैयार था…
दुकानदार ने सहज ही पूछ लिया — कितनी तनख़्वाह है तेरी..
अभी तो बारह हजार, रहना-खाना मिलाकर सात-आठ हजार खर्च हो जाएंगे है यहाँ, और तीन हजार मां के लिए….
अरे ….फिर आठ सौ रूपये… कहीं ज्यादा तो नहीं…
तो बात को बीच में ही काटते हुए लड़का बोला — नही…. कुछ नहीं होता
दुकानदार ने चप्पल बाॅक्स पैक कर दिया…
लड़के ने पैसे दिए और ख़ुशी-ख़ुशी दुकान से बाहर निकलने लगा….
पर दुकानदार ने उसे कहा — थोड़ा रुको भाई…
साथ ही दुकानदार ने एक और बाॅक्स उस लड़के के हाथ में दिया
“यह चप्पल मां को देना…. तेरे इस भाई की ओर से गिफ्ट….
मां से कहना पहली ख़राब हो जाए तो दूसरी पहन लेना मगर नंगे पैर नहीं घूमना और इसे लेने से मना मत करना….
दुकानदार ने एकदम से दूसरी मांग करते हुए कहा–
“उन्हें मेरा प्रणाम कहना, और क्या मुझे एक चीज़ दोगे…
बोलिये…
वह पेपर, जिस पर तुमने पैरों की आऊटलाईन बनाई थी वही पेपर मुझे चाहिए….
वह कागज़, दुकानदार के हाथ में देकर वह लड़का ख़ुशी-ख़ुशी चला गया…
वह फोल्ड वाला कागज़ लेकर दुकानदार ने अपनी दुकान के पूजा घर में रख़ा…
दुकान के पूजाघर में कागज़ को रखते हुये दुकानदार के बच्चों ने देख लिया था और उन्होंने पूछ लिया कि — ये क्या है पापा…
दुकानदार ने लम्बी साँस लेकर अपने बच्चों से बोला —
लक्ष्मीजी के चरण लिए हैं बेटा….
एक सच्चे भक्त ने उसे बनाया है, इससे धंधे में बरकत आती है….
दोस्तों मां तो इस संसार में साक्षात परमात्मा है बस हमारी देखने की दृष्टि और मन की सोच श्रृद्धापूर्ण होना चाहिए ….
हृदय को छूने वाली अनमोल रचना 👣👣
🚩 जय माता दी 🚩🙏🙏