
आज का संदेश
लेख – शिवम् राज गोरखपुरी
बुरी संगति हमारे व्यवहार को भी अशुद्ध कर देती है।
हम कितना भी भजन कर लें, ध्यान कर लें लेकिन हमारा संग गलत है तो हमारे द्वारा पढ़े गये ग्रंथ, हमारे द्वारा अर्जित ज्ञान और हमारे द्वारा सुना हुआ सत्संग कुछ भी आचरण में नहीं उतर पायेगा।
साधना के जगत में संग का अति विशेष महत्व है।
व्यवहार की शुद्धि के लिए महापुरुषों का संग अवश्य होना चाहिए।
आपको धनवान होना है तो धनी लोगों का संग करें, राजनीति में जाना है तो राजनीतिक लोगों का संग करें।
भक्त बनना है तो संतों,
महापुरुषों और वैष्णवों का संग अवश्य करना पड़ेगा।
दुर्जन की एक क्षण की संगति भी बड़ी घातक होती है।
वृत्ति और प्रवृत्ति तो संत संगति से ही सुधरती है।
संग का ही प्रभाव था कि लूटपाट करने वाला, रामायण लिखने वाले वाल्मीकि जी बन गए।
थोड़े से भगवान बुद्ध के संग ने अंगुलिमाल जैसे डाकू का भी हृदय परिवर्तन कर दिया।🙏