
✍️…… आजकल के लड़के नौकरी (व्यवसाय) लगने के तुरंत बाद शादी करके पत्नी को सीधे नौकरी पर ले जाते हैं तथा सारा पढ़ाई का कर्ज , खेती का काम सब झंझट माता पिता के पास छोड़ जाते हैं ।
वो सबसे पहले शहर में प्लाट लेने की सोचते हैं तथा माता पिता की ओर कम ध्यान देते हैं जो बहुत दुखदाई है ।
फेसबुक पर माता पिता को भगवान ज्यादा वो ही लोग लिखते हैं जिनके माता पिता दयनीय स्थिति में होने के बाद भी उनसे आशा नहीं करते ।
कभी वो लोग गाँव आते हैं तो अपनी जेब का पैसा नहीं देने हेतु माता पिता से खेती , भैंस आदि की कमाई का हिसाब अपनी पत्नी के सामने लेते हैं तथा उन्हें बहुत सुनाते हैं ।
पत्नी भी उनमें कमी निकालकर अपना धर्म पूरा करती है।
यह माजरा करीब 90% लोगों का है जो शहर मे लोगों को जन्मदिन की पार्टी देकर अपनी झूठी शान का बखान करते हैं ।
वो अपने पत्नी बच्चों के अलावा किसी पर एक पैसा खर्च नहीं करते ।
क्या इस हालत मे समाज_सुधार की ओर अग्रसर माना जा सकता है।
गाँव के अधिकांश लोग इसी तरह दुःखी हैं क्योंकि उनको बच्चे की नौकरी के कारण वृद्धा_पेंशन भी नही मिलती।
मां-बाप कितने सपने सजोकर उन्हें पेट काटकर पढ़ाते हैं फिर नौकरी या तो लगती नहीं या लगने के बाद बेगाने होना दुःखद है।
आजकल लड़कों की नौकरी लगे या ना लगे घर का काम तो मरते दम बुड्ढों को ही करना पडता है।बच्चों को पढ़ाने का मां-बाप को यही पुरस्कार है।
जो लोग सोशल_मीडिया पर बड़ी बडी बातें करते हैं तथा लोगों का आदर्श बने हुए हैं तथा बड़े पदों पर आशीन हैं उनमें से भी अनेक अपने रिश्तेदारों , माता पिता के प्रति निष्ठुर भाव रखते हैं ।🙏🙏