
सम्पादकीय
✍🏿जगदीश सिंह सम्पादक✍🏿
कुछ खुशियां कुछ आंसू देकर टाल गया!!
जीवन का एक और सुनहरा साल गया!!
जीवन के उपवन से मुस्कराता खिल खिलाता खट्टी मिट्ठी यादों को समेटे सुख दुख दर्द के बीच फर्ज के दहलीज से गुजरता यह साल भी कभी वापस न आने की कसमें खाता आज जब सारी दुनिया घनघोर निशा के आगोश में मदहोश होगी गुलाबी ठंडक कड़क मिजाज लिए शनै: शनै: सिहरन पैदा करती पछुआ हवा में प्रकृति की भीनी सुगन्ध को समेटे निर्वाध गति से सम्मवाद करते किलोल कर रही होगी तब वर्ष का एक वर्षीय शहंशाह की ताज पोशी हो रही होगी!खुशियों के उन्माद में नव वर्ष के आगाज से चारो दिशाओं में उत्कर्ष का सिंहनाद शुरु हो जायेगा!गहरी निद्रा में सो रहे लोग जब सुबह उठेंगे तब तक नववर्ष सिंहासन पर आसीन हो चुका होगा! भगवान भास्कर की सप्तरंगी किरणें प्रकृति की मनोरम छटा में दिव्य प्रकाश बिखेरती वर्ष के उत्कर्ष के लिए अपना आशिर्वचन 23 वर्षीय युवराज को समर्पित कर रही होगी।आज 22 वर्षीय शहंशाह की बिदाई प्रकृति की रहनुमाई में इस सदी की त्रासदी का गवाह बनाती रात के बारह बजे हो जायेगी! गुजरते वर्ष का आज आखरी दिन शनि देव के दिव्य दर्शन के साथ परिवर्तन की पराकाष्ठा को आस्था के साथ तेईस को समर्पित कर कालजई इतिहास के पन्नों में अपना मजबूत वजूद दर्ज कराते हमेशा के लिए अलविदा कहा जायेगा।आज भगवान भास्कर भी गमगीन नजरों से अपने अतीत में समाते बाईस को जाते देखकर कर मायूस हैं!आसमान रो रहा है! आंखों अश्रु धारा लगातार टपक रही है!हर तरफ उदासी है!साल भर जिनके साथ किलोल किया वह मदमस्त किरणें भी सिसक रही है।आदि अनादि काल से महाकाल की इस धरती पर परागमन का खेल जारी है!जाते जाते बाईस ने जो नुमाइश दिखाया हैउसको कभी भुलाया नहीं जा सकता!जिन्दगी की जंग लडता आदमी पल पल अपने आखरी सफर के तरफ बढ़ता जा रहा है!सबको पता है साथ कुछ नहीं जाएगा!फिर भी मुगालते में पल रहा है!तमाम झंझावातों को झेलते साल दर साल उम्र के पडाव की एक एक सीढ़ी नीचे उतरता जा रहा है।आज पता भी नहीं चल रहा है कि यह साल अपना चोला बदल रहा है! लेकिन कल नया शब्द जुड़ते ही लोगों के मन में उछाल आ जायेगा।गजब माया का खेल है!अपने जीवन का सुनहरा एक साल गंवा दिए फिर भी खुशहाली है। गजब का मंजर है कल जश्न मनाया जायेगा घर घर दीवाली है।नये साल में तथागत का स्वागत होगा! जाने वाले को लोग भूल जायेंगे!रह जायेगा यथावत कायनाती वसूल है।न उसका परिवर्तन होता है न उसके कार्यक्रम कोई बदलाव होता है।निश्चित समय पर स्वयं सब कुछ सदियों से अनवरत चला आ रहा है।तमाम युग बदल गये!तमाम रियासतें दफन हो गई! तमाम सूरमो का अन्त हो गया! तमाम शहंशाह बदल गये!मगर नहीं बदलीतो केवल कायनाती ब्यवस्था!धरती बार बार उलटी पलट हुयी मगर प्रकृति की आकृति जैसे कल झंकृत थी वैसे ही आज भी झंकृत है!आज साल के जाने की कही चर्चा नहीं है! मगर नए साल की स्वागत की भरपूर तैयारी है!जीवन अनमोल है जो क्षण गुजर जायेगा कभी नहीं आयेगा।आज को जीए कल किसने देखा है।लाचार असहाय गरीब से सहानुभूति जीवों पर दया का भाव आप के खुशहाल भविष्य के निर्माण में सम्भाव पैदा करेगा! आप सभी देश वासीयों को आने वाले नव वर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं! सबका मालिक एक 🕉️ साईं राम🙏🏾
31-12-2022