
सम्पादकीय
✍🏿जगदीश सिंह सम्पादक✍🏿
मुसलमान और हिन्दू की विरासत खानदानी है
कहीं पर आब -ए-जम जम है कहीं पर गंगा का पानी है।
हम हिन्दुस्तानी है हिन्दू और मुसलमान की इस देश में विरासत खानदानी है।जब देश गुलाम नहीं था रियासतों में विभाजित था तब भी समाज एक सूत्र में बंधकर ज़िन्दगी का सफर हंस कर पूरा कर रहा था।न कोई दंगा न फसाद! न हिन्दू न मुसलमान का कोई बिबाद!भारत खुशहाल था सभी थे अपने अपने हिसाब से आबाद! दुनियां के फलक पर अपनी सम्बृद्धी की चमक बिखेर रहा भारत कभी सोने की सीडियां कहा जाता था।अखण्ड भारत की गौरवशाली ब्यवस्था की धमक से किसी की हिम्मत नहीं पड़ती थी की इस देश के तरफ आंख उठाकर देख ले। कालचक्र का खेल देखिए इस धरा के परम्परा कि अनूठी कहानी जिसमे विविधता के बाद भी एकता की चमक कायम थी को विखंडित करने वालों के सम्पर्क से अन्दरूनी संघर्ष शुरु हो गया! रियासतें टकराने लगी वैमन्श्यता की हवा पश्चिमी बिक्षोभ का दबाव बनाकर भारत की धरती पर लुटेरों को पनाह दे दिया? सैकडो साल तक मुगलिया सल्तनत समेत तमाम राजघराने जाति धर्म का बीज रोपित करते रहे !फिर क्या था इसका भरपूर फायदा उठाकर इष्ट इंडिया कम्पनी ने देश के पूरे परिवेश पर कब्जा कर लिया सैकडो साल तक जंग छेडकर हिन्दू मुसलमान बहादुरी की मिसाल बनाते अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंका! मगर जाते जाते फिरंगीयो ने जाति धर्म के मर्म को पहचान कर भारत का विखन्डन कर पाकिस्तान का निर्माण करा दिया।धर्म मजहब के नाम पर देश का बंटवारा हो गया। आज आजादी के बाद भी सत्तर सालों से देश उस दर्द को झेल रहा है।समय के साथ बदलाव कीजिए बहती हवा ने सामाजिक बिखराव की ब्यवस्था में आस्था को प्रतिपादित कर दिया है! आज इन्सान हिन्दू मुसलमान बनकर स्वाभिमान के खातिर एक दुसरे को नीचा दिखाने की फितरत में सारी अपनी ताकत लगा रहा हैं।हम सर्व शक्तिमान है!अल्लाह के बन्दे है बाद में तेरा भगवान और हिन्दुस्तान है? वाह क्या बात है? जब इस जहां में मानव अवतरित होता है तो उपर वाला उसे इन्सान बनाकर ही भेजता है! मगर मजहबी मतलब परस्त मानवीय मूल्यों की तिलांजलि देकर उपर वाले के निजाम में लागू ब्यवस्था को बदल कर खुद की ब्यवस्था में बदल देते हैं पहचान! फिर कोई हिन्दू हो जाता है कोई मुसलमान! जो जैसा आया वैसा ही गया सनातनी बना?जो सब कुछ बदल दिया परिवर्तनीय बन कर अकल्पनीय हो गया?उपर वाला भी अपनी काबिलियत से बनाए गए मिट्टी के पुतलों को देखकर पश्चाताप करता होगा!इन्सान का बस चले तो कायनात के नियमों को भी बदल दे मगर लाचार है! न हवा बदल पाया न पानी चाहे भारत का हो या जापानी! — आधुनिकता के अन्धड में धर्म और मजहब का उठा बवंडर आपस मे टकराव पैदा कर घर घर वातावरण को जहरीला बना दिया है।तालीम ,तहरीर का तरीका ,तमीज,तहजीब, तरक्की, तबाही, सबका फार्मूला बदल गया।लोगों की सोच सोचने का तौर तरीका बोल चाल की भाषा आधुनिकता की भट्ठी में सुलगती सस्ती लोकप्रियता का नजरिया बदल गया?रूप रंग,चाल ढाल , इन्सानी स्वरूप बदल गया!शिक्षा संस्थान मठ मन्दिर ,मस्जिद मजहबी मदरसों में इन्सानियत के दुश्मन नफरत की तिजारत कर रहे हैं! मासूम बच्चों के दिल में मोहब्बत के जगह तफरका की ईबारत भर रहे हैं।कराह रही है करिश्माई कायनाती कुदरत उसे भी अपनी बनाई दुनियां को देखकर हो रही होगी हैरत? जिस देश में मासूमों का खून जिसके जनून में शामिल हो गया उस अहमक को भी इस देश के परिवेश में पनाह मिल रहा है! धरती यही रहेगी चांद सितारे भी चमकते रहेंगे बस हम आप नहीं रहेंगे।मोहब्बत का पैगाम साधु सन्त सूफी पैगम्बर ने दर बदर रहकर भी दिया जिस पर सारा जहां टिका है फिर इतनी नफ़रत क्यों! साथ कुछ नहीं जायेगा कर्म का हिसाब यही होगा! सावधान हो जाएं इन्सानियत के राह पर चलकर मानवीय मूल्यों का संरक्षण करें आप का भी भला होगा समाज का भी भला होगा! मालिक की नजर से कोई बच नहीं सकता। सबका मालिक एक
🕉️ साईं नाथ🙏🏾🙏🏾
जगदीश सिंह सम्पादक
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