
एक बार माता लक्ष्मी गायों के समूह में पहुँची,
माता लक्ष्मी के सौन्दर्य को देखकर गायों ने पूछा,
आप कौन है,
तब माता लक्ष्मी कहने लगी,
मुझे लक्ष्मी कहते है,
सारा जगत मुझे चाहता है,
मेरी ही कृपा से इन्द्र आदिक देवता सुख भोग रहे है,
जिसके शरीर में मै प्रवेश नही करती उसका नाश हो जाता है,
धर्म,
अर्थ,
काम,
मोक्ष मेरे ही सहयोग से सुख देने वाले होते है,
ऐसा मेरा प्रभाव है,
परंतु अब मै तुम्हारे शरीर में सदा के लिये रहना चाहती हूँ,
इसलिये तुमसे प्रार्थना करती हूँ,
मेरा आश्रय लेकर श्री समपन्न हो जाओ,
गायों ने कहाँ-देवी आपकी बात तो ठीक है,
पर तुम बडी चचंल हो,
तुम एक जगह स्थिर नहीं रहती हो,
और तुम्हारा व्यवहार भी अनेकों के साथ है,
हम हरी घास खाती हैं,
महल में नही जगलों मे रहती हैं,
इसलिये हमको तुम्हारी न आवश्यकता है,
न ही इच्छा है,
लक्ष्मी ने कहा-देवी तुम ये क्या कह रही हो,
मैं बडी दुर्लभ और कठिन हूँ,
पर तुम मुझे स्वीकार नहीं करती हो,
आज मुझे पता चला बिना बुलाऐ किसी के पास जाने से अनादर होता है,
गायों ने कहा-हम तुम्हारा अपमान नही कर रही,
हम तो केवल आपका त्याग कर रहीं हैं ,
क्योंकि तुम्हारा चित्त चंचल है,
लक्ष्मी माँ मन ही मन भयभीत हो गयीं।
माता लक्ष्मी का अभिमान टुट गया ,
लक्ष्मी ने कहा-
अगर आप ही मेरा अनादर करोगी,
तो संसार में सर्वत्र मेरा अपमान ही होगा,
मै तुम्हारी शरण में आयी हूँ,
आप मुझे अपना लो,
मुझे बताओ मैं तुम्हारे शरीर के कौन से हिस्से में रहूँ,
गायों ने कहा-यशस्वनी हम तुम्हारा सम्मान अवश्य करेगीं,
अगर तुम स्थिर रहो तो हम तुम्हें अपने मल मूत्र में स्थान देते है,
आज माता लक्ष्मी बोली-आपने मेरा मान रख लिया,
आज से आप के गोबर में मेरा निवास होगा,
उसी दिन से गाय का गोबर और मूत्र परम पवित्र बन गया,
सदा के लिये गाय के गोबर और मूत्र में माँ लक्ष्मी का बास हो गया !
जिन घरों के द्वार पर नित्यप्रति गाय के गोबर का चौका लगता है,
ऐसे घरो में लक्ष्मी माँ तैतिंस करोड देवताओं के साथ सदा स्थिर रहती है,
गाय के उवले की धूनी घर में शाम के समय जलाने से,
अनेक प्रकार की व्याधियों का नाश होता है,
गौमूत्र पान करने से घोर पातक भी नष्ट हो जाते हैं,

गौमूत्र से केसर हार्डअटैक,
पागलपन दोरा,
मिर्गी और भी बहुत सारे रोगों का नाश हो जाता है
कोढ आदि के लिये भी राम बाण औषधी हैं,
गौमूत्र नित्य प्रति गंगाजल तुलसी पत्ते में मिलाकर पीने से बुद्धि शुद्धता को प्राप्त करती है,
मानसिक सतुंलन ठीक बना रहता है,
शरीर हर समय नयी ऊर्जा को प्राप्त करता है,
मनुष्य के जितने पाप होते है,
वो पंचगव्य लेने से मिट जाते है
गाय के शरीर में तैतिंस करोड देवताओ का बास है,
गाय रूदों की माता ,
वसुओ की पुत्री,
अदिती के पुत्रों की बहिन,
घृतरूप अमृत का खजाना है,
जो एक बर्ष तक ,प्रतिदिन भोजन के पहले दुसरे की गाय को एक मुठ्ठी घास खिलाता है,
उसे पुत्र ,
यश,
धन और सम्पत्ती की प्राप्ति होती है,
जो गाय सेवा का व्रत लेकर भोजन से पहले गौ ग्रास निकालता है
वह प्रति बर्ष एक हजार गौ दान का पुण्य प्राप्त करता है,
गौ दर्शन गौपूजन,
गौसेवा नित्य करो !
गौधन महान जग,
गौरक्षण करो आप !!
जननी जनकर दूध पिलाती,
केवल साल छमाही भर !
गौमाता पय सुधा पिलाकर ,
रक्षा करती जीवन भर !!
🙏गौसेवा ही ईश्वर सेवा है🙏
🌿कृषक में ही कृष्ण है🌿
🌼गौमाता की जय🌼भारत माता की जय🌼