हथकड़ी से डिप्टी एसपी तक के सफर की प्रेरणादायक कहानी फिल्मी पटकथा से सी लगती है पर कभी कभी जलने वाले तो दुनिया जला दें लेकिन सामने वाले के हुनर और हौंसले को नहीं तोड़ा जा सकता है।
और यह कहानी है मेरे गृह जनपद इटावा से सटे हुए मध्य प्रदेश के जनपद भिंड जिले के एक लड़के जैनेन्द्र कुमार निगम की जो जेल में रहा और एक दिन डीएसपी बन गया। कहानी सत्य है खुद जैनेन्द्र कुमार की जबान से …
मेरा नाम जैनेन्द्र कुमार निगम है
मैं भिंड जिले के एक छोटे से गांव डोंगरपुरा का रहने वाला हूँ। मैने अपने जन्म के 5 साल बाद से ही पिताजी को MPPSC की तैयारी करते देखा था पिताजी ने वर्ष 1996- 2000 तक पाच बार लगातार मुख्य परीक्षा दी उस समय MPPSC में वैकल्पिक विषय होते थे पिताजी ने समाजशास्त्र और लोक प्रशासन विषयों का वैकल्पिक विषय के रूप में चयन किया था। उस समय डेक में कैसेट लगा कर वो इन विषयों का अध्ययन करते थे, उस समय उन्होंने ही मुझे MPPSC और उसकी परीक्षा के बारे मे बताया था! पिताजी का सपना सिर्फ DySP बनने का था पर उसी समय उनके ऊपर रंजिशवश झूठे मुकदमे दर्ज करवा दिए गए,फिर पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण वो MPPCS नहीं निकाल सके मैं भी बचपन से पढाई में मेधावी था पर 12th के बाद पढ़ाई पर विशेष ध्यान नहीं दिया,,किसी तरह BSC की डिग्री प्राप्त कर सका ,,, फिर मैंने Government MJS College भिंड में एडमिशन लिया वहां कुछ दोस्तों को पढ़ाई करते हुए देखा तब मुझे भी मोटिवेशन मिला और मैने ठीक से पढ़ाई करना शुरू किया। 2015 में पुलिस आरक्षक का पेपर पास किया,, पर पापा का कहना था कि Dy sp नहीं बनना क्या?तो फिर में उसका फिजिकल एक्जाम देने ही नहीं गया, 2019 में मैने इतिहास विषय से वर्ग 01 का पेपर पास किया पर मैंने ज्वाइन नहीं किया, क्योंकि अभी भगवान भी चाहता था कि मैं और कुछ करूं। 14अक्टूबर 2019 में कुछ लोगों ने मेरे परिवार से लड़ाई कर ली परिवार का ग्राम बहिष्कार कर दिया गया,, हमारी पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया गया,, घर को लूट लिया गया और मेरे ऊपर पुलिस द्वारा फर्जी FIR दर्ज कर ली गई और मुझे, मेरे भाई और मेरे पिताजी को निर्दोष होते हुए भी जेल भेज दिया गया। हम कई दिनों तक जेल में बंद रहे,, बाद में फूफाजी, बुआजी द्वारा हम तीनों लोगों की जमानत करवाई गई। मेरे दिल में हमेशा से ही रहा कि कुछ तो बड़ा कुछ तो अलग करना है,, इसलिए मैं जेल से बाहर आने के 5 दिन बाद ही अपनी अलग छवि और राजनीतिक पार्टी बनाने के उद्देश्य से पैदल भारत यात्रा पर निकल गया,, मेरे पास न तो रुपए थे न कुछ खाने को था बस एक बैग में 2 जोड़ी कपड़े लेकर मैं निकल गया,,, पैदल पैदल चलता जहां शाम होती वहीं रुक जाता और किसी से भी मांगकर खाना खा लेता और सड़क किनारे ही सो जाता मैं जम्मू कश्मीर तक पैदल- पैदल पहुंच गया था पर शायद क़िस्मत में लिखा था ही नहीं कि मैं नेता बनूं। उसी समय 24 मार्च 2020 को कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया और मुझे आगे बढ़ने की मंजूरी नहीं मिली, तब मुझे मजबूरीवश वापस घर आना पड़ा। पर मेरी और परिवार की जान को शुरू से ही खतरा था डिप्टी एसपी बनने का ख्वाब अब तो मैं छोड़ ही चुका था फिर मैं एक साल तक पुलिस सुरक्षा में रहा,,, अप्रैल 2020 में कुछ लोगों ने मेरे माताजी और पिताजी पर जान लेवा हमला किया और मेरे घर को पूरा जलाकर खाक कर दिया गया और पुलिस द्वारा मेरे परिवार और मेरे ही ऊपर दूसरी फर्जी FIR दर्ज कर दी गई और मुझे परिवार सहित दोबारा जेल भेज दिया गया , जेल में और अपराधियों द्वारा मुझे भड़काया गया, ब्रेनवाश किया, कहा कि हमारे साथ आ जाओ,,,, पर पता नहीं भगवान ने मेरी क़िस्मत में क्या लिखा था,,8 जनवरी 2021 को मैं जेल से जमानत पर छूटकर बाहर आया, पर पूरा परिवार जेल में ही बंद था पर मैं मन बना चुका था कि अब तो DySP ही बनना है और मैं अपनी बुआ से कुछ पैसे लेकर 11 जनवरी 2021 को इंदौर आ गया। 2 महीने कोचिंग पढ़ पाया और मार्च 2021 में फिर से कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया। 22 मई 2021 मैं इंदौर में ही रहकर MPPCS की पढ़ाई कर रहा था,,, और उस दिन पुलिस ने मेरे ऊपर हत्या के प्रयास (धारा 307) की झूठी FIR दर्ज कर दी जबकि उस समय मैं इंदौर में हॉस्टल के CCTV कैमरे के सामने था ,,,,, उसके एक महीने बाद जून 2021 में उन्हीं लोगों द्वारा मेरे परिवार का एक्सिडेंट करवा दिया गया मैं यह खबर सुनकर टूट गया कि अब तो पूरा परिवार ही खत्म हो जाएगा उस एक्सिडेंट में मेरे भाई के पैर, मम्मी की पूरी कमर की हड्डियां टूट गई। मैं परिवार को देखने के लिए दिल्ली गया जहां सभी का इलाज हो रहा है। मैं अपनी माँ और पापा की हालत देखकर रोने लगा, पापा, बुआ फूफा जी ने मुझे समझाया हिम्मत दी कहा कि तुम्हें कमजोर नहीं होना है तुम्हें टूटना नहीं है अभी तुम्हे बहुत कुछ करना है, मैं उस दिन मां के हाथ पर लिख कर आया था कि मैं पूरी मेहनत करूंगा और DySP बनकर ही वापस आऊंगा,2020 की PCS के पहले प्रयास में नायब तहसीलदार बना. पर अभी तक परिवार वालों का सपना पूर्ण नहीं हुआ,2021 में और ज्यादा मेहनत की पर अंतिम चयन नहीं हुआ,,2022 में सहायक संचालक स्कूल एजुकेशन पद पर चयन हुआ,2023 MPPCS में mains एग्जाम के दौरान दौरान मलेरिया और टाइफाइड हो गया, 11 मार्च से 16 मार्च 2024 तक मुख्य परीक्षा देते समय सुबह और शाम को ड्रिप लगवाकर पेपर लिखने जाता था, इस बार मेरी जिद थी कि इसी प्रयास में DSP बनना है मैने इंटरव्यू के लिए जी जान लगा दी,7 नवंबर 2025 शाम 7.15 पर जब मैने पापा, मां को कॉल पर खबर सुनाई…. पापा मैं DSP बन गया, उधर खबर सुनकर पापा का गला भर आया
मेरी इस सफ़लता का सबसे बड़ा स्त्रोत मेरे पापा, बुआ फूफा, मां दादा – दादी प्रदीप श्रीवास्तव सर हैं जिन्होंने हमेशा मेरे ऊपर विश्वास रखा और मुझे प्रोत्साहित किया।मेरे मित्र अनूप, शैलेन्द्र, अंकित, राहुल,, यश , आदित्य,, छोटू, ग्गिरवल का हर समय साथ रहा उन्होंने भी मुझे इस मंजिल तक पहुंचाने में पूरा योगदान दिया। #DSP #PSC #jail #झूठा #अपराध #भिंड