इस कहानी से सीख मिलती है । हर विवाह में थोड़ी बहुत मुश्किलें
आती है । लेकिन एक दूसरे का ध्यान न रखकर सम्मान न देकर
एक दूसरे पर लांछन लगाते रहते है ।
कई लोग तो तो इस एटीट्यूड में रहते है । मुझे वो चाहती चाहता है ।
जैसे हर जगह नौकरी पड़ी हो ।
भैया ही अकेले प्रतिभाशाली है या हम ही हैंडसम है ।
ऐसा सोचकर जैसे मजदूर रोब झाड़ते है । ज्यादा किया तो हमारी
तुम्हारी राम राम ।
हिसाब कर देना आदि ।
ध्यान रहे लोग इस्तेमाल भी करते है । तब तक जब तक तुम
उनकी बदनामी का कारण नहीं बनते । या फिर तुम्हारे कारण
परिवार टूटा ।
अब तो सहमति से संबद्ध में केस नहीं बनता ।
लेकिन क्या मानवीय रूप से ठीक है । अगर किसी साथ प्रेम
किया तो उसे अपना नहीं सकते ।
फिर सब नपुसंक बन जाते है ।
बल्कि संकट में साथ खड़ा होना चाहिए।
सब मगरमच्छ बने बैठे है मीठी मीठी बड़ी बड़ी खूबसूरत बाते बनाते है । फिर बंदर का कलेजा मिलते ही मुकर जाते ।
इस हरामजादे को यह तो पता था जो अपनी पति की नहीं हुई
मेरी क्या होगी ।
यानी गद्दार तो दुनिया में वही मानी जाएगी ।
और यह सोच क्रूरता की और भी ले जाती है । वर्ना जिस व्यक्ति
से प्रेम हो उसका बुरा सपने में भी नहीं सोच सकता ।
क्या माता पिता बच्चों को इस तरह चोट पहुंचा सकते है ।
ऐसा करने से पूर्व ही हाथ कांपने लगते है ।
खुद को बचाने के लिय अपराध करने के बाद सबूत छुपाने
खत्म करने का उपाय भी पहले कर लिया होगा ।
बिल्कुल सोची समझी रणनीति ।
तभी तो बस से कई बार सर को कुचला ।
किसी के विचार को उसके व्यवहार से जांच करनी चाहिए
मगर कई महिला सिर्फ बातों से खुश हो जाते है ।
मेरे इतने चाहने वाले उतने आदि के चक्कर में ही लोग मर
रहे है ।
अगर थोड़ा विवेक बुद्धिमत्ता से दोनों चलते कभी परिवार
को ऐसे संकट से न गुजरना पड़े ।
यह तो चली गई लेकिन बच्चों को जो सजा मिलनी है ।
समाज द्वारा कल्पना से भी आदमी कांप जाए ।
महिला बाहर से थकती है क्यों कि उसके हिस्से हर रोज काम
आता है ।
पुरुष को भीतर मानसिक रूप तोड़ने फिर वो कोई कार्य नहीं
कर पाता ।
कभी जिन बातों को सहने के डर से चाहे बारिश ठंड हो गर्मी
परिवार की जिम्मेदारी समझकर उसका बोझ उठाने को
तैयार रहता है । ताकि कोई कह न सके ।
लेकिन जैसी ही उसके स्वाभिमान मानसिक रूप से परेशान किया
फिर वो बहुत बेशर्म बन जाता है ।
कितनी भी बाते सुना दो असर नहीं होती ।
फिर न जल्दी से परिवार की तरफ आकर्षित होता है ।
लेकिन अनपढ़ महिलाओं को कोई फर्क नहीं पड़ता ।
क्षमा कीजिय अनपढ़ के साथ बे अक्ल महिला पुरुष
गीता पढ़ पढ़ कर दिमाग खाली कर लिया इन लोगों ने
भविष्य की छोड़ वर्तमान देखना ।
यह चिंता टेंशन से बचने के लिय टेबलेट हो सकती है ।
लेकिन हर बार किसी भी बीमारी में इसे दवा मानना
बहुत बड़ी भूल साबित होती है ।

