गोरखपुर में तैनात मुज़फ़्फरनगर के DSP सुधीर तोमर को एक एम्बुलेंस से अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने अस्पताल स्टाफ को बेटे का नंबर दिया, लेकिन जब अस्पताल वालों ने बेटे से बात की तो उसने कह दिया कि उसे सिर्फ़ मरने की सूचना दे दी जाए, इलाज से उसे कोई मतलब नहीं—3 साल से उनकी कोई बातचीत ही नहीं हुई थी। DSP साहब चल बसे..
क्या फ़ायदा इतना कमाने का, जब अपना बेटा ही अपना ना हुआ..
भगवान उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे 🙏
मेरठ दक्षिण विधानसभा। डीएसपी सुधीर तोमर का बेटा बोला पापा मर जाएँ तो बता देना… लाश लेने आ जाऊँगा
एक अफ़सर की जिंदगी का सबसे दर्दनाक अंत… जिसके अंतिम समय में न परिवार साथ था, न अपने
कभी अमरोहा कोतवाली और देहात थानों में अपनी हनक, दबदबे लिए बदनाम रहे डीएसपी (पूर्व इंस्पेक्टर) सुधीर कुमार तोमर का अंत जितना अकेला, उतना ही दर्दनाक और रिश्तों की टूटन को उजागर करने वाला साबित हुआ। गोरखपुर के एक अस्पताल में लंबी बीमारी से जूझते हुए उनका एक सप्ताह पहले निधन हो गया पर उनके अंतिम दिनों की तस्वीरें और उनसे जुड़ी घटनाएं इस बात का खौफनाक सबूत हैं कि यदि इंसान जीवन भर रिश्तों, संवेदनाओं और मानवता को नज़रअंदाज़ करे तो उसका अंत कितना भयावह और अकेला हो सकता है।
सुधीर तोमर को अस्पताल में कोई अपना लेकर नहीं गया था। एक एम्बुलेंस चालक उन्हें भर्ती कराकर छोड़ गया था जो बाद में वहीं से फरार हो गया। दिन बीतते गए… बीमारी बढ़ती गई… और इंस्पेक्टर साहब के आसपास केवल मशीनों की बीप, दवाई की गंध और अस्पताल की ठंडी दीवारें ही बची रहीं जिस व्यक्ति की एक आवाज़ पर अमरोहा हिल जाता था वह आज अपने बिस्तर पर अकेला पड़ा था बिल्कुल अकेला। परिवार तक साथ छोड़ चुका था।
जब हालत ज्यादा बिगड़ी, जब सांसें टूटने लगीं, जब इंसान अपनी आखिरी उम्मीदें अपने पर टिकाकर रखता है तब सुधीर तोमर ने अस्पताल स्टाफ को अपने बेटे का नंबर देते हुए कहा था कि उसे सूचना दे दी जाए। शायद मन में यह उम्मीद भी रही हो कि बेटा आ जाएगा पिता की हालत देखकर आँसू भर उठेगा उनके पास बैठकर उनके माथे पर हाथ रख देगा और कहेगा पापा….मैं आ गया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
अस्पताल स्टाफ ने जैसे ही बेटे को फोन कर पिता की गंभीर हालत बताई फोन के दूसरी तरफ से ठंडा, निर्दयी और रिश्तों के टूटने की चीख बनकर निकला जवाब आया जब मर जाएँ तो बता देना, डेड बॉडी लेने आ जाऊँगा।
यह वाक्य सिर्फ एक जवाब नहीं बल्कि उस बाप-बेटे के रिश्ते का मौत का एलान था जो वर्षों पहले ही मर चुका था बस उसका अंतिम संस्कार होना बाकी था।
उनके बेटे की यह प्रतिक्रिया अब सोशल मीडिया पर वायरल है और हर कोई स्तब्ध है कि एक पिता और बेटे के बीच इतनी दूरी आखिर क्यों बनी। जानकार बताते हैं कि सुधीर तोमर का स्वभाव बेहद कठोर, तानाशाही और दबंग था। अमरोहा में तैनाती के दौरान उन्होंने वर्दी का रौब दिखाकर आम लोगों को प्रताड़ित किया, अनैतिक मांगें पूरी कराईं और अनेक बार मानवता व संवेदना को ताक पर रख दिया। शायद यही वजह रही कि परिवार भी उनसे भावनात्मक रूप से कट गया और आखिर में उनका साथ छोड़ गया।
आज जब उनकी मौत की खबर फैली तो किसी के मुँह से दुआ का शब्द नहीं निकला। लोग सिर्फ यही कहते दिखे जैसा बोया, वैसा पाया।
सुधीर तोमर का रिटायरमेंट अभी एक साल दूर था पर उससे ठीक तीन महीने पहले ही 14 साल पुराने मामले में अमरोहा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बब्बू टंडन के बेटे के साथ थाने में मारपीट, तीन लाख रुपए जबरन लेने और सोने की चेन छीनने के आरोप में अमरोहा न्यायालय ने पूर्व एसपी उदय प्रताप और तत्कालीन कोतवाल सुधीर तोमर के खिलाफ गिरफ्तारी के आदेश जारी कर दिए थे। एक समय डर और हुक्म चलाने वाले अफसर आज अदालत के आदेश और विवादों के बोझ तले टूटे हुए इंसान के रूप में दुनिया से गए।
लेकिन सबसे बड़ी त्रासदी न अदालत का आदेश था, न बीमारी…सबसे बड़ी त्रासदी थी रिश्तों का टूट जाना।
जीवन की विडंबना देखिए—
जिस पिता ने बेटे को उंगली पकड़कर चलना सिखाया, जिसके भविष्य के लिए दिन-रात नौकरी की, जिसे खिलाकर बड़ा किया—
वही बेटा अब केवल “लाश लेने” की बात कर रहा था।
बस अंत में इतना ही कहना चाहूंगा जिंदगी ने एक बार फिर साबित कर दिया रिश्ते टूट जाएँ तो इंसान मरने से पहले ही मर जाता है और जब अंतिम समय में कोई अपना कंधा देने को न बचे तो वर्दी, ताकत, पैसा… सब बेकार हो जाता है।
स्थानीय संवाददाता……

