सेमरा टोल प्लाजा घोटाला: करोड़ों के अनुबंध पर कुछ सौ का स्टांप! दो कंपनियों पर मुकदमा दर्ज, सरकारी खजाने को ₹11 लाख से अधिक का नुकसान
स्थानीय संवाददाता…. कैलाश सिंह महाराजगंज
महराजगंज, जिले के सेमराराजा और हड़हवा टोल प्लाजा से जुड़ा एक बड़ा राजस्व घोटाला उजागर हुआ है। करोड़ों रुपये के अनुबंधों पर महज कुछ सौ रुपये का स्टांप शुल्क जमा कर सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया गया। इस मामले में सहायक महानिरीक्षक निबंधन आलोक कुमार ने मेसर्स रक्षक सिक्यूरिटास प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स एसएस कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (ठेकेदार — सेमराराजा टोल प्लाजा) के खिलाफ निबंधन न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया है।
दोनों मामलों में कुल ₹11,04,180 की स्टांप ड्यूटी चोरी पाई गई है, जिसकी वसूली के लिए कलेक्टर (स्टांप) को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
मामला कैसे खुला?
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और आयुक्त (स्टांप प्रयागराज) के निर्देश पर जिले के सभी टोल अनुबंधों की गहन जांच की जा रही थी। इसी जांच के दौरान एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) द्वारा जारी अनुबंध पत्रों की जांच में भारी अनियमितताएं सामने आईं।
जांच में पता चला कि दोनों टोल प्लाजा के ठेकेदारों ने अपने लीज अनुबंधों पर देय स्टांप शुल्क का केवल एक छोटा हिस्सा ही अदा किया था। यह भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की धारा 17 और 33(4) का स्पष्ट उल्लंघन माना गया।
हड़हवा टोल प्लाजा का मामला
एनएचएआई ने 5 मई 2025 को मेसर्स रक्षक सिक्यूरिटास प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली के साथ अनुबंध किया था, जो 6 मई 2025 से 6 मई 2026 तक एक वर्ष के लिए प्रभावी है। कुल अनुबंध राशि ₹1,25,29,000 तय की गई थी।
भारतीय स्टांप अधिनियम के अनुसार, ऐसे अनुबंध पर कुल राशि का 2 प्रतिशत स्टांप शुल्क देय होता है। यानी इस अनुबंध पर ₹2,50,580 रुपये का स्टांप शुल्क देना था, लेकिन कंपनी ने केवल ₹200 का ही स्टांप लगाया। यह सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है।
सेमराराजा टोल प्लाजा में भी अनियमितता
इसी प्रकार, मेसर्स एसएस कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (मुख्यालय — गोरखपुर रोड, महराजगंज) ने भी करोड़ों रुपये के अनुबंध पर निर्धारित 2% स्टांप ड्यूटी का भुगतान नहीं किया। विभागीय गणना के अनुसार, सेमराराजा टोल प्लाजा पर देय स्टांप शुल्क ₹7,53,800 रुपये था, लेकिन कंपनी ने इसकी जगह बहुत कम राशि जमा की।
दोनों टोल प्लाजा मिलाकर कुल ₹11,04,180 रुपये की स्टांप ड्यूटी चोरी का मामला सामने आया ।
सुप्रीम कोर्ट का हवाला
सहायक महानिरीक्षक निबंधन आलोक कुमार द्वारा जारी आदेश में सुप्रीम कोर्ट के सिविल अपील संख्या 8985/2013 (रीवा टोल वे प्रा. लि. बनाम मध्य प्रदेश राज्य) का हवाला दिया गया है। इस फैसले में कहा गया है कि —
किसी भी टोल प्लाजा पर टोल वसूली का अधिकार प्रदान करने वाला अनुबंध ‘लीज’ की परिभाषा में आता है, क्योंकि इसमें ठेकेदार को एक निश्चित समय के लिए निश्चित मूल्य पर भूमि और संरचना के उपयोग का अधिकार दिया जाता है।”
अब आगे क्या?
विभाग ने दोनों कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। साथ ही कलेक्टर (स्टांप) को आदेश दिए गए हैं कि स्टांप ड्यूटी चोरी की वसूली जल्द सुनिश्चित की जाए।
इस खुलासे के बाद जिले के अन्य टोल अनुबंधों की भी जांच तेज कर दी गई है।

