
दिल से निकली हुई बददुआ लगती जरूर है***ज्योति सुबह पेशेंट को देखने के लिए राउंड पर निकली थी की एका-एक बेड पर मालती को देखकर रुक गई। पहले तो उसे ऐसा लगा कि उसे कुछ वहम हुआ है। लेकिन फिर उसने ध्यान से देखा और वह उसकी ननंद मालती ही थी। मालती को इस तरह से हॉस्पिटल के बेड पर, कैंसर वार्ड में देखकर ज्योति हैरान हो गई। अच्छी खासी हट्टी कट्टी मालती आज बिल्कुल सुख कर कांटा हो चुकी थी। खैर ज्योति वहां से आगे बढ़कर अपने पेशेंट को देखने चली गई। लेकिन उसका दिमाग अतीत की गहराइयों में जा चुका था ।अपना राउंड खत्म करके और अपने पेशेंट का हाल-चाल लेकर ज्योति अपने केबिन में आ चुकी थी और नर्स से पूछा, क्या उसकी कोई अपॉइंटमेंट है? नर्स ने बोला, हां 10:00 बजे से उसके अप्वाइंटमेंट्स हैं, तो ज्योति ने बोला, अगर कोई इमरजेंसी नहीं है, तो मेरी आज के अपॉइंटमेंट्स कैंसिल कर दो। मेरा दिल नहीं कर रहा। तबीयत कुछ ठीक नहीं। नर्स ने बोला, ठीक है मैडम, तीन पेशेंट थे, उन्हें डॉक्टर साहिल को ट्रांसफर कर देती हूं, और कोई खास इमरजेंसी तो अभी है नहीं । ज्योति ने बोला ,ठीक है, मेरी तबीयत थोड़ी खराब है, मैं घर जा रही हूं। मैंने हॉस्पिटल में एडमिट अपने पेशेंट का राउंड ले लिया है और देख लिया है। अगर कोई इमरजेंसी होगी तो मुझे बुला लेना। वैसे तो सब ही ठीक है, कहकर ज्योति अपने घर की तरफ निकल पड़ी। ज्योति शहर की जानी मानी हार्ट स्पेशलिस्ट थी और एक शहर के सबसे बड़े अस्पताल में काम करती थी। लेकिन आज अपने हॉस्पिटल के कैंसर वार्ड में अपनी नंद मालती को देखकर, वह भी इतनी दयनीय अवस्था में, ज्योति को यकीन नहीं हो रहा था। घर पहुंच कर उसका सर बहुत दर्द कर रहा था। उसने अपनी मेड से एक कप गर्म गर्म चाय बनाकर लाने को कहा और खुद बेडरूम में जाकर कपड़े चेंज करके लेट गई। लेकिन ज्योति का मन बहुत बेचैन था। मेड चाय बनाकर ला चुकी थी। ज्योति ने उससे कहा, कि मैं कुछ देर आराम करना चाहती हूं, मुझे बिल्कुल डिस्टर्ब मत करना। जब मैं उठूंगी खुद जाकर खाना खा लूंगी और आज मैं दिन भर घर पर ही रहूंगी, तो तुम शाम का भी खाना बना कर, चाहे तो अपने घर जा सकती हो। ज्योति ने फुल टाइम मेड रखी हुई थी, जो ज्योति के घर में ही रहती थी और कभी-कभी ही अपने घर जा पाती थी। इसलिए मेड भी बहुत खुश हो गई कि आज मैडम की छुट्टी है, तो चलो मैं अपने घर हो आती हूं और उसने मैडम से बोला, ठीक है मैडम, मैं शाम का भी खाना बना कर रख देती हूं, आप माइक्रोवेव में गर्म करके खा लेना ,और मैं सारे काम निपटा कर बाहर से लॉक लगा कर चली जाऊंगी । अंदर आपके पास दूसरी चाबी तो है ही। ज्योति ने बोला, हां ठीक है ,तुम चली जाओ और ज्योति चाय पीकर आराम करने लगी। आज वह किसी तरह का डिस्टरबेंस बर्दाश्त नहीं करना चाहती थी, क्योंकि उसका मन बहुत बेचैन हो चुका था। पर उसे नींद भी कहां आने वाली थी। मालती को अस्पताल में देखने के बाद ज्योति को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या प्रतिक्रिया दे। क्या वह मालती के दुख में दुखी हो, या वह यह सोचे कि उसे उसके किए की सजा मिली है। खैर ज्योति ने इस बारे में कुछ भी नहीं सोचने का ठान लिया। लेकिन फिर भी उसकी मन अतीत की गहराइयों में बार-बार जा रहा था। ज्योति आज से 15/20 साल पहले पहुंच चुकी थी, जब वह और उसका पति मयंक एक ही कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे थे। एमबीबीएस करते-करते दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे और साथ जीवन गुजारने का संकल्प ले लिया था। एमबीबीएस के बाद ज्योति ने एक कार्डियोलॉजिस्ट बनना पसंद किया और मयंक ने ऑर्थोपेडिक सर्जन, पर क्योंकि दोनों ही डॉक्टरी के पेशे में थे, तो दोनों में अच्छा सामंजस्य था और अपनी पढ़ाई पूरी करके दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। ज्योति अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी और मयंक की एक बहन मलती थी, जो कि शादीशुदा थी, लेकिन पति से अलग मायके में ही रहती थी, क्योंकि उसकी अपने पति से कभी नहीं बनी। खैर ज्योति विदा होकर मयंक के घर आ चुकी थी। लेकिन कुछ दिन ही बीते होंगे मयंक के घर में, की ज्योति को समझ में आने लगा था, कि उसकी ननंद मालती उसका घर कभी नहीं बसने देगी ,क्योंकि वह खुद अपना घर तोड़कर मायके में बैठी हुई थी ,और बात-बात पर ज्योति और मयंक के बीच दूरियां पैदा करने की कोशिश करती थी, जिसमे की ज्योति के सास, यानी कि मयंक की मां भी उसका पूरा साथ देती थी । ज्योति की शादी के कुछ दिनों बाद उसकी ननंद मालती का अपने पति से तलाक भी हो गया। अब तो उसकी ननंद मालती और भी ज्यादा ज्योति और मयंक के रिश्ते से चिढने लगी थी। मयंक को मालती ने भावात्मक रूप से अपने पक्ष में कर रखा था और अपने जीजा के खिलाफ इतना ज्यादा भड़का रखा था, कि मयंक की नजर में उसके जीजा ने ,उसकी बहन की जिंदगी बर्बाद की थी। जबकि इतने दिनों में ज्योति को समझ में आ चुका था ,की मालती का जो स्वभाव है ,उसके पति ने उसकी जिंदगी नहीं बर्बाद की, बल्कि उसने अपने पति की जिंदगी बर्बाद की होगी। ज्योति को लगता था ,यह सब कुछ कम पढ़े लिखे अनपढ़ लोगों के घर में होता है ,कि भाई भाभी की जिंदगी में नंद और सास मिलकर जहर घोलते हैं, और हम लोग तो काफी हाई क्लास है पढ़े लिखे हैं। हम दोनों डॉक्टर हैं, ज्योति के ससुर जी जो कि अभी इस दुनिया में नहीं थे, वह भी शहर के जाने-माने डॉक्टर थे, और ज्योति की ननंद मालती, एक बहुत बड़े प्राइवेट बैंक में मैनेजर के पोस्ट पर थी। बहुत ही अच्छी एजुकेटेड फैमिली थी पूरी और ज्योति की ननंद मालती का पति भी एक मल्टीनेशनल कंपनी में जीएम के पद पर कार्यरत था। ज्योति को समझ में नहीं आ रहा था, इतना पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी ऐसा व्यवहार कोई कैसे कर सकता है। लेकिन अब ज्योति को समझ में आ चुका था, जिसका स्वभाव जैसा होता है ,वह कितना भी पढ़ा लिखा हो, उसका स्वभाव नहीं बदल सकता और मालती उनमें से एक थी। वह बात-बात पर ज्योति और मयंक के बीच में गलतफहमियां पैदा कर देती। मयंक के कान में बार-बार यह डालती रहती, कि वह क्योंकि मायके में रहती है ,तो ज्योति उसे पसंद नहीं करती और मयंक इस बात को लेकर ज्योति से लड़ता। जबकि ज्योति ऐसा कुछ नहीं करती थी। ज्योति मयंक से बोलती भी थी, कि मैं क्यों ऐसा करूंगी? कौन सा मैं उनका खर्चा चला रही हूं? वह तो खुद अच्छे पोस्ट पर काम करती हैं और किसी के ऊपर आश्रित नहीं है। जब चाहे अपना घर खरीद सकती हैं तो मुझे क्या प्रॉब्लम होगी? लेकिन मयंक की मां भी अपनी बेटी की तरह ही बेटे को उसकी बीवी से अलग करवाने की कोशिश में लगी रहती। सच्चाई यह थी ,की मालती का अपना घर तो बसा नहीं था, अपनी घटिया हरकतों का कारण । मालती का घर टूटने का मुख्य कारण यह था, कि वह चाहती थी कि उसका पति सिर्फ और सिर्फ उसका होकर रहे, अपने मां-बाप भाई बहन से बात भी ना करें, जो की संभव नहीं था। इसलिए रोज-रोज की लड़ाइयां से तंग आकर मालती के पति ने उससे बोल दिया था, कि तुम चाहो तो अपना रास्ता चुन सकती हो। तुम्हारे साथ गुजारा करना बहुत मुश्किल है और वैसे भी तुम किसी पर आश्रित तो हो नहीं। लेकिन तुम्हें खुश करने के लिए मैं अपने मां-बाप, भाई बहन को छोड़ दूं, उनसे कोई संपर्क ना रखूं ,यह तो कोई बात नहीं हुई, और मालती भी अपने मायके आकर बैठ गई थी और अपने रिश्ते को तिलांजलि दे दी। इसलिए अब मालती को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था ,कि मयंक और ज्योति का घर बसे। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें।वह चाहती थी, कि जैसे उसका घर टूट गया है, वैसे उसके भाई और भाभी का घर भी टूट जाए। क्योंकि उन्हें देखकर उसे बहुत जलन होती थी और मयंक कभी यह समझ ही नहीं पाया ,कि उसकी बहन का घर नहीं बस पाया , उसके खुद के कारण, न की उसके जीजा की वजह से। मालती की मां यानी की ज्योति के सास वह भी अपनी बेटी को खुश करने के लिए हर कदम पर उसकी गलत हरकतों पर भी उसका साथ देती थी। जब भी मयंक और ज्योति आपस में थोड़ा हंस बोल लेते ,तुरंत ही मालती को अजीब सी जलन होने लगती और वह कुछ ना कुछ ऐसा करती ,की फिर कुछ ही देर के बाद मयंक और ज्योति में भयानक लड़ाई हो जाती। फिर मालती और मलती की मां मुस्कुराते हुए ज्योति की ओर देखते और उसे इशारों-इशारों में बता देती , कि मेरे रहते तू अपने पति के साथ कभी खुश नहीं रह सकती। ज्योति ने एक दिन सीधा-सीधा मालती से पूछ लिया, कि आप ऐसा क्यों कर रही हो? मैंने आपका क्या बिगाड़ा है? मैं बहुत दिनो से गौर कर रही हूं, की आप जानबूझकर मेरे और मयंक के बीच में दूरियां पैदा कर रही हैं, तो मालती ने खुल्लम-खुल्ला बोल दिया, हां मैं ऐसा कर रही हूं ,मैं कभी भी तुम्हें चैन से नहीं रहने दूंगी, मैं कभी तुम्हारा घर नहीं बसने दूंगी । जब मेरा घर नहीं बसा है, तो मैं किसी का घर नहीं बसने दूंगी। मुझे बिल्कुल पसंद नहीं की कोई अपने जीवन में खुश रहे, खास करके कोई दूसरी औरत, मेरे घर में आकर मेरे भाई के साथ खुश रहे ,यह तो मैं कभी नहीं होने दूंगी । ज्योति को समझ में आ गया था कि मालती साइको टाइप की औरत है, जो अपना परिवार तो तोड़ चुकी है, अब अपने भाई का परिवार भी कभी नहीं बसने देगी। ज्योति ने बहुत कोशिश की अपना परिवार मालती की नजरों से बचा कर रखने की, लेकिन मालती ने मयंक को इमोशनली ब्लैकमेल करके पूरी तरह से अपने कब्जे में रखा हुआ था ,और मयंक कभी भी मालती को गलत मान ही नहीं सकता था, बल्कि उसे पति की सताई हुई औरत समझता था, एक सीधी-सादी औरत जो ससुराल और पति की सताई हुई है। मालती की मां भी मालती को यही समझती थी, जबकि मालती बहुत ही नीच औरत थी और मालती की मां मालती को खुश करने के लिए ज्योति के साथ बुरा करती थी। लेकिन ज्योति मयंक के सामने कभी यह साबित नहीं कर पाती थी, कि उसकी मां और बहन उसके साथ कितना बुरा कर रही हैं। ज्योति को समझ में आ गया था, इन लोगों के साथ गुजारा मुश्किल है। ऐसे तो ज्योति और मयंक का हॉस्पिटल में सारा दिन गुजरता, लेकिन जब भी वह दोनों घर पर होते, कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता, कि उसकी और मयंक की लड़ाई हो जाती, जिसमें मां बेटी मिलकर आग में घी डालने का काम करती, और फिर अकेले में ज्योति को सीधा-सीधा ओपन चैलेंज देते, कि तुम्हें इस घर से निकाल कर रहेंगे । ज्योति को लगता की ननंद तो ठीक, लेकिन एक मां बेटे के साथ ऐसा कैसे कर सकती है, अपनी बेटी को खुश करने के लिए अपने बेटे की खुशियां कुर्बान कर रही है। लेकिन ज्योति को कभी समझ में नहीं आता। वजह यह थी की मयंक की मां को लगता था, मेरी बेटी बहुत दुखी है और अगर उसके सामने मेरे बेटे बहु खुश रहेंगे, तो उसका दुख और भी बढ़ जाएगा। इसलिए वह अपनी बेटी के हर सही गलत में उसका साथ देती रहती थी। ज्योति को समझ में आ चुका था की मयंक अपने मां और बहन के चंगुल में बुरी तरह से फंसा हुआ है और वह कुछ भी कर ले, वह उसकी बातों को कभी सच नहीं मानेगा। इसलिए ज्योति ने अब कुछ भी बोलना ही छोड़ दिया था। वह अपने काम से काम रखती थी और इधर मालती रोज ज्योति के लिए कोई नया बखेड़ा खड़ा करती रहती और रोज ज्योति और मयंक की लड़ाई करवाती रहती। जिसमें ज्योति की सास भी अपनी बेटी का बढ़ चढ़कर साथ देती थी। ज्योति के लिए अब यह सारी चीज बर्दाश्त के बाहर हो रही थी। ज्योति ने बहुत कोशिश की थी अपना रिश्ता बचाने की, मयंक को कई बार याद दिलाया था, कि हमने लव मैरिज की है, ना कि अरेंज मैरिज। तब मैं तुम्हें इतनी पसंद थी, तो अब ऐसा क्या हो गया, कि मैं तुम्हें गलत लगती हूं? लेकिन मयंक ज्योति की किसी बातों पर यकीन नहीं करता था। उसे लगता था ज्योति उसकी मां और बहन को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। ज्योति ने अब सब कुछ तकदीर के भरोसे छोड़ दिया था। एक दिन ज्योति को पता चला कि वह प्रेग्नेंट है। ज्योति को एक नई उम्मीद जाग गई, अपना रिश्ता बचने की और ज्योति को ऐसा लगने लगा कि अब उसका और मयंक का रिश्ता बच जाएगा। लेकिन ज्योति ने सपने में भी नहीं सोचा था की मालती और उसकी मां इस हद तक गिर जाएंगे कि एक मां अपने ही बेटे की औलाद को और एक बहन अपने ही भाई की औलाद को खत्म कर देगी। ज्योति खुद एक डॉक्टर थी, लेकिन वह इन मां बेटी के चंगुल में फंस गईं और इनके बिछाये जाल को समझ ना सकी । एक दिन सुबह ज्योति दूध पीकर अपने रूम में आराम करने गई, एकाएक उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसे तुरंत अस्पताल जाना पड़ा, जहां उसका अबॉर्शन हो गया था। बहुत दुख हुआ ज्योति को, लेकिन उसने ऐसा कभी नहीं सोचा था, कि उसकी सास और नंद उसके साथ इतना घटिया खेल खेल सकती हैं। हुआ यह था, कि उसकी ननंद मालती ने किसी केमिस्ट से अबॉर्शन की गोलियां लाकर, उसके दूध में मिला दी थी और उस दूध को ज्योति ने पी लिया था। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें।कोई इस हद तक साजिश कर सकता है यह बात तो ज्योति सोच भी नहीं सकती थी। ज्योति का अबॉर्शन हो जाने के बाद, एक दिन मालती ज्योति के कमरे में आई और बोली ,तुम्हें क्या लगता था, तुम बच्चा पैदा करके मेरे भाई को अपने कब्जे में कर लोगी? तुम्हें लगता है मैं तुम्हें ऐसा कुछ करने दूंगी? तुम्हें कभी बच्चा नहीं होगा, तुमने सोच क्या रखा है, बच्चे को आगे करके तुम इस घर की मालकिन बन जाओगी? अब ज्योति को समझ में आ चुका था, कि उसका अचानक अबॉर्शन कैसे हुआ और वह बहुत जोर से चिल्लाई, तुम इतनी नीच औरत हो सकती हो, एक औरत होकर एक अजन्मे में बच्चे की जान ले ली, कोई इतना नीचे कैसे गिर सकता है? तब तक ज्योति की सास भी कमरे में आ चुकी थी और सारी बातें सुन चुकी थी, लेकिन अपनी बेटी की गलती जानने के बाद भी, वह चुप थी, तो ज्योति ने बोला, कैसी औरत है आप? अपनी बेटी को खुश करने के लिए अपने बेटे के बच्चे की जान ले ली? अब आप सब कुछ जान चुकी हैं और फिर भी अपनी बेटी को कुछ नहीं बोल रही? ज्योति के सास ने बोला, क्योंकि मुझे मेरी बेटी तुमसे ज्यादा प्यारी है, उसे मैंने जन्म दिया है, वह मेरी बेटी है, मेरी कोख से पैदा हुई है। तब ज्योति ने गुस्से में तिल मिलाते हुए बोला, और आपका बेटा ,वह क्या किसी और की कोख से पैदा हुआ था? ज्योति की सास ने बोला, नहीं वह भी मेरा बेटा है, और तुम्हें क्या लगता है, मैं मेरे बेटे से कम प्यार करती हूं? मैं उससे बहुत प्यार करती हूं, लेकिन किसी दूसरे घर से आई हुई औरत ,यह सोचे कि मेरे बच्चों के पिता के संपत्ति पर बैठकर, मालिकाना हक जताएगी, तो यह मैं कभी नहीं होने दूंगी। हां मेरे बेटे का बच्चा नहीं रहा, इस बात का दुख है मुझे, लेकिन कोई बात नहीं, बच्चे और हो जाएंगे ,लेकिन तुझसे नहीं, तेरी जैसी पढी-लिखी लड़की इस घर में नहीं चलेगी । मैं तो तेरा रिश्ता तुड़वा कर रहूंगी और फिर अपने हिसाब से किसी गरीब घर से अनपढ़ लड़की को इस घर में ब्याह कर लाऊंगी, जो मेरे बेटे का बच्चा पैदा करेगी ,और मेरे कुल को आगे बढ़ाएगी । लेकिन सिर्फ और सिर्फ मेरी और मेरी बेटी की नौकरानी बनकर। इस घर पर मालिकाना हक, सिर्फ और सिर्फ मेरी बेटी और मेरे बेटे का रहेगा, और बाद में मेरे बेटे के बच्चों का। किसी और घर से आई हुई लड़की, यह सोचे कि वह इस घर की मालकिन है, यह मैं कभी नहीं होने दूंगी, पहले तुझे इस घर से भगाऊंगी ,उसके बाद देखना, किसी ऐसी लड़की को इस घर में अपने बेटे की बीवी बना कर लाऊंगी ,जो हमारे पांव की जूती बनकर रहेगी और इस खानदान को वारिस भी देगी, लेकिन इस घर की मालकिन खुद को कभी नहीं समझेगी, और हमारी गुलाम बन कर रहेगी । ज्योति ने बोला, छी, इतनी घटिया सोच है आपकी, आप जैसे घटिया लोगों के साथ मुझे रहना भी नहीं ,आपकी घटिया सोच आपको मुबारक। लेकिन आपको क्या लगता है? इन छोटी-मोटी लड़ाइयों से, मयंक मुझे छोड़ देगा, और इतनी आसानी से आपका रास्ता खाली हो जाएगा? मालती ने बोला, उसका इंतजाम भी हमने कर लिया है, तब तक मयंक अपने कमरे में आ रहा था। ज्योति को कुछ समझ में नहीं आया ,मालती क्या बोल रही है, और मयंक के आते ही मालती और उसकी मां ने अपनी नौटंकी शुरू कर दी, और ज्योति के ड्रॉवर से अबॉर्शन के पिल्स निकालकर ,मयंक को दिखा दी और बोला, देख तू अपने बच्चे के जाने का दुख मना रहा है, और तेरी पत्नी ने खुद दवाई खाकर अपना बच्चा गिराया है। सोच ले कितनी नीच औरत है यह। ज्योति ने सपने में भी नहीं सोचा था, यह दोनों मां बेटी इस तरह का खेल रच सकती हैं । ज्योति ने बहुत उम्मीद से मयंक की तरफ देखा। लेकिन मयंक ने एक जोरदार थप्पड़ ज्योति के गाल पर लगा दिया, कि तुम इतनी नीच और घटिया हरकत कैसे कर सकती हो ? ,कि मेरे बच्चे की जान ले ली। ज्योति को समझ में आ चुका था, कि मयंक एक महा मूर्ख प्राणी है, जिसे उसकी मां और बहन जैसी पट्टी पढ़ाती है, उसी को वह सच मानता है, अपना दिमाग इस्तेमाल नहीं करता। इसलिए ज्योति ने बिना कोई प्रति उत्तर दिए, अपना सामान बांध और बोली, कि मैं तुम्हारी जिंदगी से हमेशा के लिए जा रही हूं, क्योंकि तुम्हारे जैसे मूर्ख प्राणी के साथ जीवन बिताना ,मेरी मूर्खता होगी। तुम अपनी मूर्खता के साथ अपनी मां और बहन के खातिरदारी में लगे रहो और अपना जीवन नर्क बना लो । मुझे अपना जीवन नर्क नहीं बनाना । लेकिन हां जाते-जाते मैं इस मां और बेटी को अपने दिल के गहराइयों से बद्दुआ देकर जा रही हूं, कि यह वह दिन देखेंगे, कि उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी, और वह दुख झेलेंगी, जो इन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा, यह मेरे दिल की गहराइयों से इन मां बेटी को बद्दुआ है, कहकर ज्योति हमेशा के लिए वहां से चली गई । कुछ समय बाद ज्योति और मयंक का आपसी समझौते से तलाक भी हो गया। लेकिन ज्योति ने डॉक्टर होते हुए एक पढ़ी-लिखी औरत होते हुए, अपने दिल से मां बेटी के लिए बद्दुआ निकली थी। जबकि उसे पता भी नहीं था, की कभी बद्दुआ असर करती है या नहीं, और आज मालती को अपने हॉस्पिटल के कैंसर वार्ड में, यूं दर्द तड़पता देखकर, उसे समझ में नहीं आ रहा था, कि वह क्या प्रतिक्रिया दे? वह एक डॉक्टर होने के नाते उन्हें सांत्वना दे, या उसकी जिंदगी बर्बाद करने वाली एक नीच औरत को उसके कर्मों की सजा मिल रही है, यह सोचकर खुश हो? फिर भी एक बार मिलना तो बनता ही था। क्योंकि इसमें ज्योति का तो कोई दोष नहीं था, तो वह क्यों उनसे भागती । अगले दिन ज्योति अपने समय पर अस्पताल पहुंची और अपना काम खतम करने के बाद अपने पेशेंट को देखने के बाद सीधा मालती के पास पहुंची। मालती के पास पहुंचकर ज्योति ने देखा की वह बहुत तड़प रही थी। मालती के बगल में मयंक खड़ा था और अपनी प्यारी बहन के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहा था। मयंक ने ज्योति को देखा और बोला, ज्योति तुम? ज्योति ने बोला, हां मैं, क्या हुआ तुम्हारी इस बहन को कैंसर हो गया? मयंक ने बोला, हां अब यह तो किसी के हाथ की चीज नहीं। ज्योति ने बोला, हां बिल्कुल, यह किसी के हाथ की चीज तो नहीं। लेकिन जो भी हुआ, बहुत अच्छा हुआ। मैंने दिल की गहराइयों से इस औरत को बद्दुआ दी थी, पता नहीं से बद्दुआ से कुछ होता है या नहीं, लेकिन अगर होता है, तो यह जान लो ,की इसे मेरी ही बद्दुआ लगी है। एक डॉक्टर होते हुए भी मैं आज यह बात बोल रही हूं, कि यह कभी ठीक नहीं होगी, और यह मैं व्यक्तिगत कारणों से बोल रही हूं। क्योंकि अगर एक डॉक्टर के रूप में बोलूं, तो मैं तो यही बोलूँगी कि यह ठीक हो जाए पर एक औरत के रूप में मैं ऐसा कभी नहीं चाहूंगी। क्योंकि इस नीच घटिया औरत ने मेरे अजन्मे में बच्चे को मारा था और वैसे भी मेरा तो इससे कोई लेना-देना नहीं है। मैं तो व्यक्तिगत तौर पर यह देखने आई थी, कि जिस औरत ने मेरी जिंदगी तबाह की थी ,आज उस औरत की जिंदगी तबाह हो रही है ,तो मुझे सुकून मिलता हैं या नहीं? और सच मानो ,मुझे बहुत सुकून मिल रहा है । कड़वा सत्य।मयंक फिर से चिल्ला कर बोला ,कैसी औरत हो तुम ? एक डॉक्टर होकर एक मरीज के दुख में तुम्हें सुख मिल रहा है? ज्योति ने बोला, नहीं एक मरीज के दुख में मुझे सुख नहीं मिल रहा, बल्कि एक घटिया दिमाग वाली नीच घटिया औरत, जो कि कभी मेरी ननंद हुआ करती थी ,और जिसने मेरा घर बर्बाद कर दिया, और जिसे घर से निकलते वक्त मैंने जी भर के बददुआएं दी थी, आज जब वह बद्दुआ रंग ला रही है, तो उसके दुख में मुझे सुख मिल रहा है, और एक महा मुर्ख पति के दुख में, मुझे सुख मिल रहा है, जिसे अपनी बहन का तो दुख है, लेकिन अपने अजन्मे बच्चे की मौत का कोई दुख नहीं था। कभी जानना भी नहीं चाहा, कि उसे दुनिया में आने से पहले ही किसने नहीं आने दिया । एक मां पर इल्जाम लगा दिया, उसके ही बच्चे की हत्या का ,एक बार भी नहीं सोचा ,कि क्या एक मां ऐसा कर सकती है? लेकिन आज एक बार फिर कुदरत ने मुझे मौका दिया है । उस दिन तो मैंने तुमसे कुछ नहीं कहा ,लेकिन आज कान खोल कर सुनो मयंक, तुम्हारे अजन्मे में बच्चे को मैंने नहीं, तुम्हारी इस नीच घटिया बहन ने मारा था, और इसे कोई मेरी बद्दुआ नहीं लगी है इसे भगवान ने इसके किए की सजा दी है ,जिसने एक अजन्मे बच्चे को धरती पर आने से पहले ही खत्म कर दिया था, और उसने मालती की आंखों में देखा। मालती सब कुछ सुन रही थी और पछताप के आंसू उसकी आंखों से बह रहे थे। तब तक मालती के सास व्हीलचेयर पर वहां आई। वह पूरी तरह से लकवा ग्रस्त थी। उसे देखकर ज्योति को समझ में नहीं आया कि वह भगवान के इंसाफ को क्या कहें? उसने मयंक से बोला, देख लो मयंक, इस मां बेटी ने मिलकर मेरी जिंदगी बर्बाद की थी, मेरा बच्चा मुझसे छीना था, एक औरत होते हुए इन लोगों ने एक औरत की कोख में उसके बच्चे को मार दिया था। आज भगवान उन्हे उनके किए की सजा दे रहा है। आज अपनी बहन और मां के हालत देख लो। मयंक ने बोला, बकवास मत करो ,मेरी मां और बहन ऐसा कभी नहीं कर सकती। अपने किए का ठीकरा मेरी मां और बहन पर क्यों फोड़ रही हो? ज्योति ने बोला, हां मेरे किए का ठीकरा, वाह मयंक वाह ,तुम्हारी मां ,मां है, वह ऐसा नहीं कर सकती, और मैं क्या थी? मैं भी एक मां बनने वाली थी, तो तुम ऐसा कैसे बोल सकते हो, कि मैंने अपने ही बच्चे की जान ले सकती हूं? और अगर मैंने अपने बच्चे की जान ली होती ना, तो आज उनकी जगह मैं यहां पर होती। मयंक हम कितना भी पढ़ लिख लें, लेकिन इस ब्रह्मांड में एक सर्वशक्तिमान शक्ति है, जो हर किसी को उसके किए की सजा एक वक्त जरूर देती है ,और आज तुम्हारी मां और बहन को देखकर तो ,इस बात पर मेरा यकीन पुख्ता हो गया। तुम तो शुरू से कान के कच्चे थे और अपने मां और बहन को खुश करने के लिए अपना हंसता खेलता परिवार उजाड़ लिया, कहकर ज्योति ने अपनी सास की ओर देखा, और उसकी सास की नजरे झुक गई। क्योंकि वह भले नहीं बोल सकती थी, पर सुन सब रही थी और अपनी बहन और मां की झुकी हुई नजर और पश्चाताप के आंसू देखकर, मयंक को समझते देर नहीं लगी, की ज्योति जो कुछ भी बोल रही है, सच बोल रही है। तब तक डॉक्टर, मालती को चेक करने के लिए आए और ज्योति को वहां देखकर बोले ,अरे डॉक्टर ज्योति, आप यहां क्या कर रही हैं, कैंसर वार्ड में? ज्योति ने बोला, कुछ नहीं डॉक्टर, कुछ पुराने रिश्तेदार मिल गए थे, तो बात करने चली आई, चलिए अब मैं चलती हूं, कहकर ज्योति वहां से चली गई। डॉक्टर ने मयंक से बोला, डॉक्टर मयंक, आपकी बहन की हालत तो काफी सीरियस है, आप तो खुद डॉक्टर है, समझ सकते होंगे। यह तो अब नहीं बचने वाली ,लास्ट स्टेज चल रहा है कैंसर का, जितने दिन यह सरवाइव कर ले ,खैर आप खुद समझदार हैं, देख लीजिए और आप क्या कर सकते हैं ? कहकर डॉक्टर वहां से चला गया। कुछ देर के बाद मयंक ज्योति से मिलने उसके केबिन में गया। साथ में उसकी मां भी थी, व्हीलचेयर पर ,जिसे मयंक खुद लेकर आया था। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें।ज्योति को देखकर मयंक की मां ने कोशिश की ,अपने हाथ जोड़ने की, लेकिन नहीं जोड़ सकी, क्योंकि उसके हाथ नहीं उठ सकते थे, लेकिन पश्चाताप से आंखों ही आंखों में वह ज्योति से माफी मांग रही थी। लेकिन ज्योति ने बोला ,प्लीज अपनी मम्मी को लेकर यहां से जाओ, मैं तुम लोगों की शक्ल भी नहीं देखना चाहती थी। मयंक ने बोला, ज्योति मैं जानता हूं, मैं और मेरा पूरा परिवार, तुम्हारा गुनहगार है। आज मुझे सच्चाई पता चल चुकी है ,जो कि मुझे मेरी मां और बहन की आंखों में दिख रही है, और तुमने मुझे बहुत बार यही सच्चाई दिखाने की कोशिश की, लेकिन मैं नहीं देख पाया । ज्योति ने बोला ,मयंक प्लीज ,तुम जा सकते हो, मुझे तुम लोगों से कोई गिला शिकवा नहीं। हां मैंने तुम्हारे घर से निकलते वक्त बद्दुआ जरूर दी थी, और आज समझ में आ गया, कि दिल से निकली बद्दुआ, जरूर लगती है। खैर तुम्हारी वह बीवी कहां है, जो तुम्हारी मां और बहन तुम्हारे लिए लाने वाली थी? एक अनपढ़ ,गरीब घर से, जो कि उनकी नौकर बनकर जिंदगी भर उनकी सेवा करती, और तुम्हारे खानदान का वारिस पैदा करती? मयंक ने बोला, कौन सी बीवी? मैंने आज तक शादी नहीं की। ज्योति ने बोला, क्या तुमने शादी नहीं की, पर तुम्हारी मां और बहन तो मुझे उस घर से निकाल कर, अपने लिए एक गुलाम और तुम्हारी बीवी लाने वाली थी, जो तुम्हारा वारिस पैदा करती, और जिंदगी भर तुम्हारे मां और बहन के तलवे चाटती? मयंक ने बोला, तुम्हारे जाने के बाद, मेरा प्यार और शादी पर से विश्वास उठ चुका था, क्योंकि मेरी बहन का घर भी टूट चुका था और मेरा घर भी टूट गया। इसलिए मैंने फैसला कर लिया था, कि मैं कभी शादी नहीं करूंगा। मम्मी और मालती दीदी ने बहुत कोशिश की, कि मैं शादी कर लूं, लेकिन मैंने साफ मना कर दिया, कि मैं कभी शादी नहीं करूंगा। ज्योति ने बोला, हां तुम्हारा शादी और प्यार पर से विश्वास जरूर उठ गया था ,क्योंकि तुम्हारा और तुम्हारी बहन का दोनों का घर टूट चुका था, लेकिन तुम्हारा और तुम्हारी बहन का घर टूटने में, तुमने दोषी हमेशा अगले को माना ,लेकिन सच यह है ,तुम्हारी बहन का घर भी तुम्हारी बहन ने खुद तोड़ा, और तुम्हारा घर भी तुम्हारी बहन ने तोड़ा। क्योंकि पति-पत्नी में एक विश्वास का रिश्ता होता है। तुम्हें अपनी मां और बहन पर तो विश्वास था, लेकिन जो अपनी सारी दुनिया छोड़कर, तुम्हारे लिए, तुम्हारे साथ तुम्हारे घर आई थी, उसपर तुमने कभी विश्वास नहीं किया, और यही वजह थी ,तुम्हारा घर टूटने की। कड़वा सत्य।खैर तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़े हो या नहीं बढ़े हो, वह तुम्हारी मर्जी ,तुम जानो। तुम मेरी जिंदगी का एक अतीत थे, एक घटिया अतीत ,जिससे मैंने कभी प्यार किया था और वह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी, एक महा मूर्ख प्राणी से प्यार करना। पर अब मैं अपनी जिंदगी में काफी आगे बढ़ चुकी हूं। मेरी एक 12 साल की बेटी है ,जो हॉस्टल में रहती है, और मेरे पति एक साइंटिस्ट है, जो कि इस वक्त 5 सालों के लिए अमेरिका में काम कर रहे हैं, और मैं यहां सर्विस कर रही हूं । बेटी की पढ़ाई डिस्टर्ब ना हो, इसलिए मैंने उसे हॉस्टल में डाल रखा है। मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हूं। मेरा एक खुशहाल परिवार है और मैं बहुत खुश हूं। बहुत ही समझदार व्यक्ति से मेरी शादी हुई है । अब तुम जा सकते हो, दरवाजा उधर है, कहकर मालती ने अपनी चेयर दूसरी तरफ घूमा ली, और मयंक अपनी मां की व्हीलचेयर लेकर दरवाजे से बाहर निकल रहा था, कि अचानक ज्योति ने बोला, जाते-जाते एक बात और सुनते जाओ मयंक, आज तुम्हारे मां और बहन की सेवा तो तुम कर ले रहे हो, लेकिन जब तुम इस अवस्था में आओगे, तुम्हारी सेवा करने वाला कोई नहीं होगा, और इसके लिए तुम खुद जिम्मेदार हो, अब तुम जा सकते हो ,और ज्योति ने एक सुकून भरी सांस ली।
आज उसका दिल बहुत हल्का
महसूस कर रहा था।
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