
ईश्वर की योजना – एक प्रेरणादायक कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक विशाल जहाज समंदर में सफर कर रहा था। अचानक एक तेज़ तूफान आया और वह जहाज समुद्र में डूब गया। जहाज में मौजूद सभी लोग उस हादसे में मारे गए। लेकिन एक व्यक्ति किसी तरह लकड़ी के सहारे बच निकला और समंदर में बहता-बहता एक सुनसान द्वीप पर जा पहुँचा।
जब उसे होश आया, तो उसने देखा कि वह एक निर्जन टापू पर है। चारों तरफ सन्नाटा था।
कोई इंसान, कोई साधन, कोई मदद – कुछ भी नहीं। वह बहुत घबरा गया। लेकिन फिर उसने ऊपर वाले की ओर देखा और दुआ करने लगा:
“हे भगवान! कृपया मेरी मदद करो। मुझे यहां से बाहर निकालो। किसी को भेज दो जो मुझे बचा ले।”
वह दिन-रात प्रार्थना करता रहा, किनारे पर जाता और उम्मीद करता कि कोई जहाज आएगा। लेकिन दिन बीतते गए, कोई मदद नहीं आई। कुछ समय बाद उसका धैर्य टूटने लगा। उसने भगवान से उम्मीद छोड़ दी।
अब उसे लगने लगा कि शायद उसे अपनी ज़िंदगी अब यहीं काटनी होगी। उसने वहाँ की परिस्थितियों को अपनाने का फैसला किया। उसने जंगल से लकड़ियाँ इकट्ठा कीं, नारियल के पेड़ से फल तोड़े और मछलियाँ पकड़नी शुरू कीं। धीरे-धीरे उसने लकड़ियों से एक झोपड़ी बना ली, ताकि बारिश और धूप से बचाव हो सके। अब वह वहीं रहने लगा था।
करीब 20 दिन बीत चुके थे। एक दिन वह जंगल से नारियल लेने गया था। जब वापस आया तो उसने देखा कि उसकी झोपड़ी जल रही है। आग की लपटें आसमान तक जा रही थीं। उसका आशियाना – जो उसने कितनी मेहनत से बनाया था – अब राख हो चुका था।
वह बहुत दुखी हुआ, टूट चुका था। आकाश की ओर देखते हुए उसने रोते हुए कहा:
“हे भगवान! मैंने तुझसे मदद मांगी, तूने मदद नहीं की। मैंने खुद मेहनत से घर बनाया, तूने उसे भी जला दिया। आखिर क्यों?”
वह पूरी रात दुख में रोता रहा, भगवान को कोसता रहा और थककर वहीं सो गया।
अगली सुबह जब उसकी नींद खुली, तो वह चौंक गया। एक बड़ा जहाज द्वीप के किनारे पर खड़ा था। कुछ लोग उसकी ओर बढ़ रहे थे।
वह भागकर उनके पास गया और आश्चर्य से पूछा,
“आपको कैसे पता चला कि मैं यहां हूँ?”
उनमें से एक व्यक्ति ने मुस्कराते हुए कहा,
“हमने कल रात तुम्हारी जलती हुई झोपड़ी का धुआँ दूर से देखा और सोचा कि शायद कोई मदद की ज़रूरत में है। उसी धुएं ने हमें यहां आने का संकेत दिया।”
वह व्यक्ति यह सुनकर चुप रह गया। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे – इस बार शिकायत के नहीं, आभार और समझ के।
अब उसे समझ आ गया था – जिस चीज़ को वह अपनी तबाही समझ रहा था, वही उसकी बचाव की वजह बनी। जिस आग को उसने श्राप समझा, वही उसका सिग्नल बन गई।
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🌿 सीख:
हमारी ज़िंदगी में भी अक्सर ऐसा होता है। हम जो चाहते हैं, वो नहीं होता। चीजें हमारी प्लानिंग के अनुसार नहीं चलतीं। तब हम दुखी होते हैं, ऊपर वाले को दोष देने लगते हैं।
लेकिन सच्चाई यह है कि भगवान की योजना हमसे कहीं बड़ी और बेहतर होती है। वह जानता है कि किसे कब, क्या और कैसे देना है। जब कोई दरवाज़ा बंद होता है, तो वह दूसरा दरवाज़ा ज़रूर खोलता है।
इसलिए जब ज़िंदगी कठिन हो, जब सब कुछ टूटता हुआ लगे – तब भी उम्मीद मत छोड़ो। भगवान पर विश्वास रखो, क्योंकि वह तुम्हारे लिए कुछ बेहतर ज़रूर सोच रहा है।