
🔱 नृसिंह अवतार – जब भगवान विष्णु आधे नर, आधे सिंह बने
जब अधर्म ने भक्ति को कुचलने की कोशिश की…
तब भगवान विष्णु ने लिया एक अद्वितीय और अद्भुत रूप — नृसिंह अवतार।
यह अवतार धर्म, न्याय और भक्त-रक्षा का अद्वितीय प्रतीक है।
📖 पौराणिक कथा का सारांश:
हिरण्यकशिपु नामक असुर ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया —
कि न वह मनुष्य द्वारा मारा जाएगा, न पशु द्वारा…
न दिन में, न रात में…
न अंदर, न बाहर…
न किसी अस्त्र से, न किसी शस्त्र से।
इस वरदान के अहंकार में उसने अपने पुत्र **प्रह्लाद** को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकने की असफल कोशिश की।
लेकिन प्रह्लाद ने ईश्वर की भक्ति नहीं छोड़ी।
⚔️ अवतार और हिरण्यकशिपु का वध:
एक दिन हिरण्यकशिपु ने क्रोधित होकर प्रह्लाद से पूछा — “कहाँ है तेरा विष्णु?”
प्रह्लाद ने कहा — “वो सर्वत्र हैं।”
क्रोध में आकर उसने स्तंभ पर प्रहार किया, और उसी क्षण भगवान विष्णु **अर्ध-मनुष्य, अर्ध-सिंह रूप** में प्रकट हुए — यही थे **नृसिंह**।
– यह समय था **संध्याकाल** (न दिन, न रात)
– स्थान था **द्वार की चौखट** (न अंदर, न बाहर)
– नृसिंह ने अपने **नखों** से (न अस्त्र, न शस्त्र) हिरण्यकशिपु का वध किया
– और भक्त प्रह्लाद की रक्षा की
✨ नृसिंह अवतार का स्वरूप:
– आधा नर, आधा सिंह — दिव्य और भयानक
– नेत्र अग्नि समान, अयाल सुनहरी और विशाल
– भुजाओं में अद्वितीय बल और आक्रोश
– भक्त के लिए करुणा, अधर्मी के लिए संहार
🌟 आध्यात्मिक संदेश:
– ईश्वर अपने भक्त की रक्षा के लिए किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं
– अधर्म चाहे कितना भी शक्तिशाली हो, सत्य अंततः विजयी होता है
– भक्ति का बल सभी वरदानों और शक्तियों से महान है
– भगवान के लिए असंभव कुछ भी नहीं
📚 आज के युग में महत्व:
– नृसिंह जयंती पर विशेष पूजा होती है, भक्त भय और संकट से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं
– यह अवतार साहस, विश्वास और निर्भयता का प्रतीक है
– जीवन में जब कठिनाई आए, तो अडिग आस्था हमें विजय दिलाती है
📌 निष्कर्ष:
नृसिंह अवतार केवल राक्षस-वध की कथा नहीं…
यह है **अडिग भक्ति की विजय** और **ईश्वर के संरक्षण का प्रमाण**।
📣 —
🦁 *क्योंकि जब भक्त संकट में होता है,
तो ईश्वर स्वयं प्रकट होते हैं।*