
*नेहरू परिवार और अनैतिक यौन संबंध!*
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_*नेहरु गिरोह के अवैध और अनैतिक सेक्स संबंधो , नेहरु के अवैध लड़के, राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी के मैथुन संबंधो के बारे में जानने के लिए नेहरु के निजी सचिव की लिखी ये पुस्तक पढ़िए!*_
_*भाजपा बस एक छोटा सा काम करे :-*_
_*एम.ओ. मथाई की किताब “Reminiscences of the Nehru Age” पर लगा बैन हटा ले*_
सच्चाई दुनियां न जान जाए इसीलिए तो *मथाई की पुस्तक को प्रतिबंधित कर दिया गया था।*
*नोट:–एम ओ मथाई के साथ बारह वर्षों तक इंदिरा के अवैध संबंध रहे थे!*
इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश को अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया!
इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्व विद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढ़ाई में खराब प्रदर्शन और अय्याशी के कारण बाहर निकाल दी गयी |
उसके बाद उसको शांति निकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया |
शान्ति निकेतन से बाहर निकाले जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी, राजनीतिज्ञ के रूप में पिता राजनीति के साथ व्यस्त था, और मां तपेदिक से स्विट्जरलैंड में मर रही थी | उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया, फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पर महंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था |
फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए। महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा० श्री प्रकाश ने नेहरू को चेतावनी दी, कि फिरोज खान के साथ अवैध संबंध बना रहा था।फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी, जल्द ही वह अपने धर्म का त्याग कर, एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक मस्जिद में फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी |
इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने नया नाम मुमीना बेगम रख लिया। उनकी मां कमला नेहरू इस शादी से काफी नाराज़ थी, जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी। नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे, क्युंकी इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना खतरे में आ गयी तो, नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उपनाम खान से गांधी कर लो, परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना~ देना नहीं था, यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था, और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गया है |
हालांकि यह बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह एक असंगत नाम है| दोनों ने ही भारत की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था, जब वे भारत लौटे, एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए स्थापित किया गया था, इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम गांधी मिला |
नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं :-
जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने अपनी असली पहचान छुपाने के लिए नाम बदले |
के.एन.राव की पुस्तक “नेहरू राजवंश”
(10:8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र नहीं था |
जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक तथ्यों को सामने रखा गया है |
उसमें यह साफ़ तौर पे लिखा हुआ है की संजय गाँधी एक और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था, दिलचस्प बात यह है की एक सिख लड़की मेनका का विवाह भी संजय गाँधी के साथ मोहम्मद यूनुस के घर में ही हुआ था, मोहम्मद यूनुस ही वह व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के बाद सबसे ज्यादा रोया था |
यूनुस की पुस्तक “व्यक्ति जुनून और राजनीति” (persons passions and politics) (ISBN-10 : 0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है की संजय गाँधी के जन्म के बाद उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ किया गया था |
कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक “the life of Indira Nehru Gandhi” (ISBN : 9780007259304) में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधो के कुछ पर प्रकाश डाला है, यह लिखा है, कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन में जर्मन शिक्षक के साथ था बाद में वह एम.ओ मथाई, (पिता के सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्द हुई |
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के लिए संबंध के बारे में एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक–“profiles and letters” (ISBN : 8129102358) में यह कहा गया है, कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी |
नटवर सिंह एक आई एफ एस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे, दिन भर के कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर जाना था|
कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद, इंदिरा गांधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया। अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही।
अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी, यह एक सुनसान जगह थी। वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद करके खड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे |
जब इंदिरा ने उसकी प्रार्थना समाप्त कर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली, आज मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया, “Today we have had our brush with history” यहाँ आपको यह बता दे, की बाबर मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य से उत्पन्न हुआ।
इतने सालो से भारतीय जनता इसी धोखे में है की नेहरु एक कश्मीरी पंडित था।जो की सरासर गलत तथ्य है |
इस तरह इन नीचो ने भारत में अपनी जड़े जमाई जो आज एक बहुत बड़े वृक्ष में तब्दील हो गया है,
जिसकी महत्वाकांक्षी शाखाओं ने माँ भारती को आज बहुत जख्मी कर दिया है बाकी देश के प्रति यदि आपकी भी कुछ जिम्मेदारी बनती हो तो अब आप लोग ”निःशब्द” ना बनियेगा।
अत्याचार को सहने वाला भी अत्याचारी से ज्यादा दोषी होता है। कांग्रेस के इस कुकर्मों को जन जन तक पहुंचाए
🚩वन्देमातरम🚩
चित्र – गूगल से साभार|
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