
तंबाकू निषेध दिवस विशेष
: व्यक्ति नहीं सभ्यता का विनाशक है तंबाकू सेवन, सभ्यता के बचाव के लिए जरूरी है तंबाकू निषेध
: सार
तंबाकू सेवन से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की अकाल मौत होती है।
इनमें से 7 मिलियन से अधिक प्रत्यक्ष तंबाकू के उपयोग करने के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं, जबकि लगभग एक लाख से अधिक अप्रत्यक्ष धूम्रपान करने से मारे जाते हैं। विश्व में करीब 2.5 करोड़ कैंसर के मरीज हैं और 2025 तक 3.0 करोड़ होने की सम्भावना है।
भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है तथा 17 लाख लोगों की तंबाकू सेवन से मृत्यु होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तंबाकू निषेध दिवस प्रतिवर्ष 31 मई को मनाया जाता है, जिससे कि पूरे विश्व का तंबाकू द्वारा फैलाई गई महामारियों की ओर ध्यान आकर्षित कर सके।
इसकी शुरुआत सन् 1987 से हुई थी। इस वर्ष तंबाकू निषेध दिवस का ध्येय वाक्य ‘पर्यावरण का संरक्षण’ है, जिसका उद्देश्य है कि तंबाकू के निषेध से पर्यावरण को कैसे बचाया जाए।
आंकड़े बताते हैं कि प्रतिवर्ष साठ करोड़ वृक्षों को काटकर सिगरेट बनाया जाता है और तंबाकू जनित उत्पादों से आठ करोड़ चालीस लाख टन कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जित होती है जिससे वायुमंडल का तापमान बढ़ता है।
इतना ही नहीं सिगरेट बनाने में लगभग बाईस अरब लीटर पानी का उपयोग किया जाता है।
दुनिया के लगभग डेढ़ अरब व्यक्ति तंबाकू का सेवन करते हैं जिनमें से लगभग 80% से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। 2020 के आंकड़ों के अनुसार तंबाकू सेवन कर्ताओं में लगभग 20 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं।
तंबाकू सेवन से उपजी महामारी से दुनिया को आगाह करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल की शुरुआत 2003 से की है।
ले रहा जान
तंबाकू सेवन से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की अकाल मौत होती है।
इनमें से 7 मिलियन से अधिक प्रत्यक्ष तंबाकू के उपयोग करने के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं,
जबकि लगभग एक लाख से अधिक अप्रत्यक्ष धूम्रपान करने से मारे जाते हैं। विश्व में करीब 2.5 करोड़ कैंसर के मरीज हैं और 2025 तक 3.0 करोड़ होने की सम्भावना है।
भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है तथा 17 लाख लोगों की तंबाकू सेवन से मृत्यु होती है।
भारत में तंबाकू की खेती
भारत में लगभग चालीस हजार हेक्टेयर भूमि पर तंबाकू की खेती की जाती है जो कुल उपजाऊ भूमि का 0.27 प्रतिशत है।
देश में लगभग 80 प्रतिशत तंबाकू गुजरात, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। मध्यप्रदेश तंबाकू का प्रमुख उत्पादक राज्य न होते हुए भी भारतीय बीड़ी उद्योग में बड़ी हिस्सेदारी रखता है।
गौरतलब है कि तंबाकू के उत्पाद की प्रक्रिया में खासतौर पर बीड़ी उद्योग में ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक है। जिसका दुष्परिणाम उनके स्वास्थ्य और शारीरिक विकास पर पड़ता है।
अप्रत्यक्ष रूप से वे तंबाकू से होने वाली बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं। महिलाओं के साथ-साथ यह दुष्प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है।
ई-सिगरेट का चलन
तंबाकू हर प्रकार से शरीर को नुकसान पहुंचाता है। तंबाकू सेवन का सबसे प्रचलित रूप सिगरेट है, लेकिन इसके अलावा बीड़ी, सिगार, घुलनशील तंबाकू, धुआं विहीन तंबाकू, हुक्का, खैनी और हाल ही में ई-सिगरेट का भी चलन है।
अमेरिका और मिस्र जैसे देशों में हुक्का सेवन के लिए विशेष रेस्टोरेंट भी बनाये जाते हैं, जहाँ पर लोग प्रति घंटे के हिसाब से इसका सेवन करते हैं।
प्रतिवर्ष 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि तंबाकू के दुष्प्रभावों से लोगों को जागरूक किया जा सके और तंबाकू के व्यवसाय पर निगरानी रखने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिशा में कार्य किये जाते हैं
और पूरी दुनिया में तंबाकू के दुष्प्रभाव से बचने के तौर-तरीकों का प्रचार-प्रसार किया जाता है।
संगठन लोगों के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए अनेकों एडवाइजरी भी जारी करता है जिससे आने वाली पीढ़ियों को भी बचाया जा सके।