 
                कुंवारेपन के दिनों में जब कुछ दोस्तों के घर जाया करता था, तो अक्सर उनकी पत्नियों को देखकर मन में बड़ा आश्चर्य होता था। लगता था मानो धरती पर स्वर्ग बस इन्हीं घरों में बस गया हो।
जब दोस्त ऑफिस से घर आते, तो उनकी पत्नियाँ प्रेम से दरवाजे तक आतीं — जूते उतारतीं, उन्हें आँचल या दुपट्टे से साफ करतीं, फिर थाली में पानी लाकर उनके पैर धोतीं।
पति को बिठाकर पंखा झलना, खाना परोसते वक्त अपने आँचल से हवा करना — जैसे यही उनका परम धर्म हो।
मैं उस दृश्य को देख-देखकर सोचता था।
वाह…..
क्या भाग्यशाली हैं ये लोग!
पत्नियाँ कितनी धैर्यवान, कितनी सेवा-भाव से भरी हुई — एकदम देवी का रूप लगती थीं।
मैं भी मन ही मन ठान लिया करता था कि जब शादी होगी, तो मेरी पत्नी भी ऐसी ही होगी।
आखिर मैंने कौन सा पाप किया है जो मुझे इतना सौभाग्य न मिले!
फिर वो दिन भी आया जब मेरा भी “सपना साकार” होने वाला था।
बाहर घोड़ी सज रही थी, और अंदर मुझे इस तरह से सजाया जा रहा था जैसे कोई गधा भी आज राजकुमार बन गया हो।
समय आने पर एक सजा-धजा गधा, एक सजी-धजी घोड़ी पर सवार होकर शादी करने निकल पड़ा।
शादी के बाद जब मैं अपनी नई नवेली दुल्हन को घर लाया, तो मन में वही पुराने अरमान पल रहे थे —
“अब मेरी बारी है जूते उतारवाने की!”
हालांकि मैं कोई ऑफिस जाने वाला आदमी नहीं था, लेकिन बस इतना करने भर के लिए मैंने नए जूते पहने और बाहर थोड़ा घूम आया।
वापस लौटा तो मन ही मन सोच रहा था — “अब देखना, वो आएगी, झुकेगी, मेरे जूते उतारेगी, आँचल से साफ करेगी, फिर पानी से पैर धोएगी, और प्यार से पंखा झलेगी।”
मैं कमरे में बैठा इशारों में अपने जूते की ओर देखने लगा, ताकि उसे संकेत मिल जाए।
पर हुआ ठीक उल्टा —
वो बोली,
“सुनिए, मुझे इतना कमजोर मत समझिए कि आप मुझे अपना जूता दिखाएँ और मैं डर जाऊँ! मैं ईंट का जवाब पत्थर से देना जानती हूँ। मेरे पास भी जूतियाँ हैं, वो भी छह जोड़ी — मायके से लाई हूँ!”
और फिर बड़े आराम से बोली —
“और सुनिए, आपके घर में पंखा तो है नहीं, बहुत गर्मी लग रही है… एक काम करिए, जरा मुझे पंखा झल दीजिए।”
बस, मैंने चुपचाप पंखा उठाया और झलना शुरू कर दिया।
उसी वक्त समझ गया कि मैं पति कम, “सेवक” ज़्यादा बन चुका हूँ।
और मन ही मन खुद से बोला — “सपने देखने में कोई बुराई नहीं, बस शादी से पहले ये जान लेना चाहिए कि हर घर का स्वर्ग, अपने हिसाब से चलता है!” 😄

 
                         
                     
  
  
  
  
  
  
                                     
                                     
                                     
                                    