
गरीब लड़की और सौतेली माँ की मार्मिक कहानी✍️
एक गाँव में ललिता नाम की एक बहुत ही दयालु और सुंदर लड़की रहती थी।
उसकी माँ की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी और उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी।
ललिता की सौतेली माँ बहुत ही क्रूर और ईर्ष्यालु थी।
वह ललिता से घर का सारा काम करवाती थी और उसे ठीक से खाना भी नहीं देती थी।
उसकी अपनी दो बेटियाँ थीं, जिन्हें वह बहुत प्यार करती थी और उन्हें हर तरह की सुख-सुविधा देती थी।
ललिता की सौतेली माँ उसे हमेशा गंदे और फटे-पुराने कपड़े पहनाकर रखती थी, ताकि वह अपनी बेटियों से कम सुंदर लगे।
ललिता चुपचाप सब सहती थी और कभी किसी से शिकायत नहीं करती थी।
वह जानती थी कि उसके पास और कोई चारा नहीं है।
एक दिन, गाँव में एक मेले का आयोजन हुआ।
सभी बच्चे मेले में जाने के लिए बहुत उत्सुक थे।
ललिता की सौतेली माँ ने अपनी दोनों बेटियों को नए कपड़े पहनाए और उन्हें मेले में जाने की इजाज़त दे दी, लेकिन ललिता को घर पर रहकर काम करने का आदेश दिया।
ललिता उदास होकर घर में बैठी थी।
उसे मेले में जाने का बहुत मन था, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकती थी।
तभी एक बूढ़ी औरत उसके पास आई।
वह औरत कोई और नहीं, बल्कि एक जादूगरनी थी, जिसने ललिता की अच्छाई और उसके साथ हो रहे अन्याय को महसूस कर लिया था।
जादूगरनी ने ललिता से पूछा, “बेटी, तुम इतनी उदास क्यों बैठी हो? क्या बात है?”
ललिता ने अपनी सारी कहानी जादूगरनी को बताई।
जादूगरनी को ललिता पर बहुत दया आई।
उसने कहा, “चिंता मत करो बेटी। मैं तुम्हारी मदद करूँगी।”
जादूगरनी ने एक जादुई छड़ी घुमाई और तुरंत ललिता के गंदे कपड़े सुंदर रेशमी पोशाक में बदल गए।
उसके पैर में सुंदर जूते आ गए और उसके बाल चमकने लगे।
जादूगरनी ने उसे एक छोटी सी टोकरी दी, जिसमें ताज़े फल और मिठाई भरी हुई थी।
जादूगरनी ने कहा, “तुम मेले में जाओ, लेकिन याद रखना, जैसे ही सूरज डूबेगा, तुम्हें घर लौट आना है।
अगर तुम देर करोगी, तो यह सब वापस पहले जैसा हो जाएगा।”
ललिता बहुत खुश हुई।
उसने जादूगरनी को धन्यवाद दिया और मेले की ओर चल पड़ी।
मेले में सभी लोग ललिता की सुंदरता को देखकर हैरान रह गए।
किसी ने उसे पहचाना नहीं।
एक राजकुमार भी मेले में आया था।
जब उसने ललिता को देखा, तो वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया।
राजकुमार ने ललिता से बात करने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही सूरज डूबने लगा, ललिता को जादूगरनी की बात याद आ गई।
वह तुरंत वहाँ से भागी और घर की ओर चल पड़ी।
दौड़ते समय उसका एक जूता मेले में ही छूट गया।
राजकुमार ने उस जूते को उठाया और उसे ढूंढने का फ़ैसला किया। वह गाँव-गाँव जाकर उस जूते को उस लड़की के पैर में फिट करने की कोशिश करता रहा।
आखिर में, वह ललिता के घर पहुँचा।
सौतेली माँ ने अपनी बेटियों को आगे किया,
लेकिन किसी के भी पैर में वह जूता फिट नहीं हुआ।
अंत में, राजकुमार ने ललिता को देखा, जो गंदे कपड़े पहने घर के कोने में खड़ी थी।
राजकुमार ने ललिता को जूता पहनने के लिए कहा।
जैसे ही ललिता ने जूता पहना, वह पूरी तरह से फिट हो गया।
राजकुमार को अपनी परी मिल गई थी।
राजकुमार ने ललिता से शादी कर ली और उसे अपने महल में ले गया।
ललिता अब एक राजकुमारी बन गई थी।
उसकी सौतेली माँ और सौतेली बहनें अपनी करनी पर पछता रही थीं।
सीख :–
हमें हमेशा दयालु और ईमानदार रहना चाहिए।
कभी-कभी हमें लगता है कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है, लेकिन भगवान हमेशा अच्छे लोगों की मदद करते हैं।