
*बिजली विभाग के भ्रष्टाचार का खेल असली यहां है इस लेख को अवश्य पढ़ें।* 👇
भैया लाइट कहीं गई नहीं है
ना कहीं जाती है 18 घंटे की बिजली बराबर सब स्टेशन पर आती है
विद्युत विभाग के कर्मचारी काम नहीं करना चाहते हैं। संविदा कर्मी काम नहीं करना चाहते हैं। बाबा आदम के जमाने के जर्जर तार अभी भी लगे हुए हैं। जो ज्यादा लोड पडने पर कहीं टूट जाते हैं। कहीं इंस्पायर कर जल जाते हैं। और जो तार व केवल बदलने के लिए विभाग से आती है। उसे विद्युत विभाग कर्मी ब्लैक में बेच देते हैं। सब स्टेशन पर जाओ तो आपको 10 मीटर तार रिजर्व नहीं मिलेगा। कारखाने वालों को चोरी से सस्ते दाम में दे देते हैं। जब तार टूटेगा तो छोटे सब स्टेशन यानी हाइड्रिल स्टेशन से उसे जोड़ने के लिए तो सिडाउन यहां से काम नहीं चलेगा तो उससे बड़े सभी स्टेशन से सिडाउन तो और जहां बडा सब स्टेशन है वहां से सिडडाउन लेने का सिलसिला और तार टूटने और जोड़ने का सिलसिला जारी रहेगा और उपभोक्ताओं से उनकी गरज के हिसाब से पैसा लेते रहेंगे। इसी में काम चलता रहता है। एक कनेक्शन लेने लेने के लिए साल भर दौड़ते रहो कनेक्शन नहीं होता है संविदा कर्मी को चढ़ावा फिर लाइनमैन की पूजा करो फिर जेई के के पास उन्हें चढ़ावा दो फिर एसडीओ ऑफिस में कागज जाएगा वहां चढ़ावा दो उसके बाद कागज बनवाओ सम्मिलित करो तो वहां चढ़ावा दो बिजली विभाग के गोदाम में खंभा, तार, ट्रांसफार्मर, समान लोडिंग के लिए जाओ तो वहां से कागज लेने के लिए पूजा चढ़ाओ ट्रांसफार्मर खंभा लोड करो और बिजली विभाग से घर लेकर आओ तो वहां पूरा चढ़ावा इतना सिलसिला के बाद में बिजली कनेक्शन होता है। उसके बाद खेल शुरू होता है बिल का इस महीने में तुम्हारा रु2000 की बिल आया है अगले चार महीने नहीं भरा तो सीधा रु20000 का आया उसके बाद 1 लाख का आ गया। आदमी बिजली विभाग का चक्कर काटते रहते हैं। फिर बिल ठीक कराने के लिए बिजली विभाग का चक्कर काटो फिर वहां कोई बाबू मिलेगा लव कुछ खर्चा पानी दो तुम्हारा ठीक कर देता हूं फिर उसको बोलेगा ठीक हो गया अगले महीने में फिर वही स्थिति यह घूस लेना और देने का सिलसिला बिजली विभाग में इतना तेजी से चल रहा है। यह समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है। और तो और अगर जनता बिजली विभाग से किसी विद्युत कर्मी से मारपीट करें। तो उनके पास सर्वाधिकार सुरक्षित है। चाहें तो पूरे परिवार व आधा गांव के ऊपर मुकदमा लिखवा देंगे। कहीं कोई सुनवाई नहीं है। इतना अधिकार सरकार बिजली विभाग को दे रखा है इसीलिए यह मन मनमानी कर रहे हैं। उनके अधिकारों में कटौती हो। यहां लोग लोग समझते हैं कि बिजली सरकार दे ही नहीं रही। सरकार के रोस्टर के हिसाब से 18 घंटा की बिजली सब स्टेशनों पर स्टोर रहती है बाहर कर्मचारी जो व्यवस्था में लगे हैं उनके भ्रष्टाचार व बिजली विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों की मिली भगत से किसान को व उपभोक्ताओं को बिजली नहीं मिल रही है। असल कहानी यहां है। (आईबी सिंह) ✍️