
शारीरिक आकर्षण किसी लड़की को पसंद करने या किसी लड़के को पसंद करने का मूल भूत आधार है,कोई कितना भी बोले कि उसने किसी लड़की में सीरत देखी है , वो शत प्रतिशत सही नहीं है
लेकिन यही बात अगर लडको के लिए की जाए तो सबसे पहले ये देखा जाता है कि वो कितना कमाता है उसकी संपत्ति कितनी है,
बाद में शारीरिक आकर्षण देखा जाता है, क्यों की स्त्री को पता है कि शारीरिक आकर्षण कुछ दिन में क्षीण हो जाएगा
मैं बिहार के एक छोटे से जिला सीवान का रहने वाला हूं
मेरी पत्नी उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ से है, मैं अपने माता पिता का अकेला लड़का हूं
शादी के समय मेरी पत्नी और हमारी बातचीत के दौरान मैने बताया कि मेरी नौकरी सिर्फ बड़े शहरों में ही लग सकती है
सब सही था, शादी की बात आगे चली शादी भी हो गई लेकिन शादी के 4 महीने बाद ही लॉकडाउन लग गया,
पहले कुछ महीने तो कंपनी सैलरी दी, लेकिन उसके बाद सैलरी आधी हो गई जिसमे बैंगलोर जैसे शहर में रहना बहुत मुश्किल था
लेकिन इसके कुछ महीने बाद ही कम्पनी ने सभी को काम से निकाल दिया
2 महीने तो अपनी सेविंग की सहायता से मैने खर्च चलाए लेकिन जल्दी ही वो भी खत्म हो गया
और मजबूरन हम दोनो को वापस सीवान आना पड़ गया
जैसे तैसे वापस आए और मैने कुछ ऑनलाइन काम ढूंढना शुरू कर दिया और मुझे एक अच्छी कंपनी से नौकरी का ऑफर मिला,
और ये वर्क फ्रॉम होम था
अब मैं लंबे समय तक अपने गांव में रह सकता था, सुकून के साथ कम खर्च में
लेकिन ये सुकून एक नई मुसीबत को जन्म दे दिया,
ये मुसीबत थी कि पत्नी को छोटा शहर रास नहीं आया, प्रति दिन मेरी और उसकी इस बात की लड़ाई होती, कि जब अब कमाई अच्छी है तो बैंगलोर क्यों नहीं चल रहे
मैने समझाया कि आज महीने में 80 हजार बच रहे हैं और वहां रहने पर 50 हजार कर्ज में रहना पड़ता था, लेकिन उसे ये सब कुछ समझ नहीं आता
फिर उसकी छोटी बहन की शादी हुई शादी अच्छे घर में हुई जहां नौकर थे, गाड़ी थी, बड़ा शहर था
अब मुसीबत ये कि उन्हें भी नौकर चाहिए थे ,
अपनी गाड़ी चाहिए थी
लेकिन ऐसा हो नहीं रहा था और इस बात को लेके रोज झगड़ा होता
फिर मैने एक दिन बैठ के उसे बताया छोटे शहर में रहने का फायदा
मैने बताया, पहले बैंगलोर में रहने पर भी मेरी सेविंग कभी नहीं होती थी आज एक साल में 9 लाख से ज्यादा पैसे बचे हैं ।
पहले तुम हर महीने महिलाओं के डॉक्टर के पास जाती थी, कभी पीरियड्स की समस्या तो कभी स्किन की लेकिन यहां 1 साल में कोई समस्या नहीं हुई,
वहां पर प्रतिदिन बाहर से कुछ ना कुछ आता था, यहां पर ज्यादा ऑप्शन नहीं है इस लिए घर का बना शुद्ध खाना खा रहे है।
तुम मॉल में जाके 3 दिन की बासी सब्जी लाती थी जिसपे केमिकल छिड़क कर उसे ताज़ा रखा जाता था
यहां तुम्हारे घर के सामने ताजी सब्जी प्रतिदिन आती है और इतनी सस्ती की जितने में तुम मॉल से 1 हफ्ते की सब्जी लेती यहां पूरे महीने की सब्जी आती है ।
रही कार की बात तो कार अगर आज चाहूं तो खरीद लूं वो भी कैश देके,
पर ये सोचो यहां स्वस्थ हो तुम तुम्हारे पास इतना पैसा है कि भविष्य में किसी भी तरह की मुसीबत आए उससे निकल लेंगे
बैंगलोर में बेशक अच्छी लाइफस्टाइल है, लेकिन वो चीजें हमें अंदर से खोखला कर रही हैं,
इतनी बातें बताने के बाद आज तक उसने बाहर जाने की बात नहीं की हमारा 3 साल का बेटा है हमने सोचा है 10 तक उसे यहीं पढ़ाएंगे उसके बाद बाहर भेज देंगे ,
लेकिन कुल मिला कर मैं खुश हूं और काफी समझाने के बाद पत्नी भी।
साभार – मारुति नंदन बरनवाल