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प्रेरणास्पद कथा•••✍️
!! कर्मो_का_लेखा_जोखा !!
एक महिला बहुत ही धार्मिक थी ओर उसने नाम दान भी लिया हुआ था और बहुत ज्यादा भजन सिमरन और सेवा भी करती थी किसी को कभी गलत न बोलना, सब से प्रेम से मिलकर रहना उस की आदत बन चुकी थी. वो सिर्फ एक चीज से दुखी थी कि उसका आदमी उससे रोज़ किसी न किसी बात पर लड़ाई झगड़ा करता था।
उस आदमी ने उसे कई बार इतना मारा की उसकी हड्डी भी टूट गई थी।
लेकिन उस आदमी का रोज का काम था।
झगडा करना।
उस महिला ने अपने गुरु महाराज जी से अरज की हे गुरुदेव मेरे से कौन सी भूल हो गई है।
मैं सत्संग भी जाती हूँ, सेवा भी करती हूँ।
भजन सिमरन भी आप के हुक्म के अनुसार करती हूँ।
लेकिन मेरा आदमी मुझे रोज़ मारता है।
मै क्या करूँ।
गुरु महाराज जी ने कहा क्या वो तुझे रोटी देता है, महिला ने कहा हाँ जी देता है।
गुरु महाराज जी ने कहा फिर ठीक है।
कोई बात नहीं।
उस महिला ने सोचा अब शायद गुरु की कोई दया मेहर हो जाए और वो उस को मारना पीटना छोड़ दे।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
उसकी तो आदत ही बन गई थी रोज़ अपनी घरवाली की पिटाई करना।
कुछ साल और निकल गए उसने फिर महाराज जी से कहा की मेरा आदमी मुजे रोज पीटता है।
मेरा कसूर क्या है।
गुरु महाराज जी ने फिर कहा क्या वो तुम्हे रोटी देता है।
उस महिला ने कहा हांजी देता है।
तो महाराज जी ने कहा फिर ठीक है। तुम अपने घर जाओ।
महिला बहुत निराश हुई कि महाराज जी ने कहा ठीक है।
वो घर आ गई लेकिन उसके पति का स्वभाव वैसे का वैसा रहा रोज उससे लड़ाई झगडा करना। वो महिला बहुत तंग आ गई।
कुछ एक साल गुजरे फिर वो गुरु महाराज जी के पास गई बताया कि वो मुझे अभी भी मारता है।
मेरी हाथ की हड्डी भी टूट गई है।
मेरा कसूर क्या है।
मै सेवा भी करती हूँ।
सिमरन भी करती हूँ फिर भी मुझे जिंदगी में सुख क्यों नहीं मिल रहा।
गुरु महाराज जी ने फिर कहा वो तुझे रोटी देता है।
उस ने कहा हांजी देता है।
महाराज जी ने कहा फिर ठीक है।
परन्तु इस बार वो महिला जोर जोर से रोने लगी और बोली की महाराज जी मुझे मेरा कसूर तो बता दो मैंने कभी किसी के साथ बुरा नहीं किया फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है।
महाराज कुछ देर शांत हुए और फिर बोले बेटी तेरा पति पिछले जन्म में तेरा बेटा था।
तू उस की सोतेली माँ थी।
तू रोज उसको सुबह शाम मारती रहती थी।
और उसको कई कई दिन तक भूखा रखती थी।
शुक्र मना कि इस जन्म में वो तुझे रोटी तो दे रहा है।
ये बात सुन कर महिला एकदम चुप हो गई।
गुरु महाराज जी ने कहा बेटा जो कर्म तुमने किए है उसका भुगतान तो तुम्हें अवश्य ही करना पड़ेगा फिर उस महिला ने कभी महाराज से शिकायत नहीं की क्योंकी वो सच को जान गई थी।
शिक्षा~ इसलिए हमें भी कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए सब से प्रेम प्यार के साथ रहना चाहिए। हमारी जिन्दगी में जो कुछ भी हो रहा है सब हमारे कर्मो का लेखा जोखा है। जिसका हिसाब किताब तो हमें देना ही पड़ेगा।
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