
अंधाधुंध प्रगति के साथ हम प्रकृति आपसी रिश्तों और मानवता को न भूलें.!
गजब के लोग हैं हम..!!
वर्तमान समय में सभी रिश्ते अब सिर्फ टेक्नोलॉजी की चपेट में इस कदर आ गए हैं कि व चाहकर भी इससे निकल नहीं पा रहे कभी किसी ने सोचा कि ऐसा क्यों हो रहा हैं?आज के समय में किसी को यह नही मालूम कि मेरा पड़ोसी कैसा हैं और उसके यहां खाना बना हैं कि नही या कोई परेशानी तो नही हैं लेकिन फेसबुक वाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से हम दूर बैठे लोगो को लाइक करते हैं और बाते करते हैं वाकई में गजब के लोग हैं हम!आज के दौर में हम अपनों से भी दूर होते जा रहे हैं पहले छुट्टियों में मौसी या नाना मामा के घर जाने की धुन लगी रहती थी लेकिन अब फोन पर महीने भर में एकाध बार उनसे बात करना भी दूभर हो जाता हैं वाट्सऐप पर ‘गुड मार्निंग, गुड नाइट’ का संदेश कर लेने भर से या किसी के निधन पर दुःखद ‘आरआइपी’ लिख देने मात्र से हमें लगता है कि हमने अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर दिया! सौ साल बाद की बातें सोच कर लगता है कि काश इस अंधाधुंध प्रगति के साथ हम प्रकृति आपसी रिश्तों और मानवता को न भूलें क्योंकि यही रिश्ते पड़ोसी ही हमारी जिंदगी हैं।