कोरांव,प्रयागराज यमुनापार
डा राम जी प्रजापति
कैलाश मानसरोवर मुक्ति हमारा परम लक्ष्य न्याय मूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा भूतपूर्व न्यायधीश सुप्रीम कोर्ट आफ इन्डिया

तिब्बत की स्वतंत्रता के बिना भारत की उत्तरी सिमाये सुरक्षित नहीं हो सकती है मेजर जनरल निलेंद्र कुमार भूतपूर्व भारतीय थल सेना
तिब्बत में हो रहे मानवाधिकार हनन पर चुप नहीं बैठ सकते है आनंद वर्धन शुक्ला आई पी एस पूर्व आई जी
तिब्बत की भाषा संस्कृत और धर्म का उद्गम भारत की प्राचीन आध्यात्मिक भूमि से है आचार्य एसी पुंसुक पूर्व डिप्टी स्पीकर निर्वासित तिब्बत सरकार
इतिहास में हुई भूलो को समझने के लिए इतिहास पढ़ना अति आवस्यक है डा आशुतोष भटनागर डारेक्टर जम्बू कश्मीर अध्यन केंद्र
भारत तिब्बत संघ को दो दिवसीय राष्टीय चिंतन बैठक का उद्घाटन करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश भारत तिब्बत संघ की अध्यक्ष न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा ने कैलाश मानसरोवर की मुक्ति को परम लक्ष्य बताया है ,तिब्बत और कैलास मानसरोवर का अनादि काल से भारत के साथ पौराणिक और आध्यात्मिक संबंध रहा है, उन्होंने कहा कि जन ,जन,को तिब्बत और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति अभियान के साथ जोड़ना होगा ,भारतीय थल सेना से सेवा निवृत्त मेजर जनरल निलेंद्र कुमार ने कहा कि भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए तिब्बत की आजादी परम आवश्यक बताया ,निलेंद्र कुमार ने कहा कि सावरिक रूप से यह बेहद आवश्यक है कि तिब्बत जल्द से जल्द स्वतंत्र हो
भारत तिब्बत संघ से राष्टीय उपाध्यक्ष और पूर्व आई जी आनंद वर्धन शुक्ल आई पी एस ने कहा कि आज विश्व मेसर्वाधिक मानवाधिकार हनन की घटनाएं तिब्बत में हो रही है ।कोई भी सभ्य समाज इसको अनदेखा कैसे कर सकता है ,अपने आत्मसम्मान और गौरव का त्याग कर जीना कितना कठिन है।,इसका अहसास भी बहुत कम लोगो को है ,तिब्बती संसद के पूर्व डिप्टी स्पीकर आचार्य येस फुसुक ने कहा कि तिब्बत के मूल संस्कृति भारत के मूल संस्कृति पर आधारित है ।विल्स आयुर्वेदिक विलेज नालेज पार्क में आयोजित दो द्विवसीय चिंतन बैठक के समापन सत्र के मुख्य अतिथि देश के ख्याति नाम विचारक जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र नई दिल्ली के डारेक्टर डा आशुतोष भटनागर ने कहा कि चीन की सीमा भारत के साथ कभी भी साझा नही हुई है यह अवरोध प्रकृति के द्वारा उत्पन्न हुई है , भारत की प्राचीन काल से स्वाभाविक सीमा हिंदुकुश पर्वत से मानी जाती है ,भारत और चीन को हिमाल्योर तिब्बत एक दूसरे से पृथक करते है ,चीन का स्वाभाविक आकार मौजूदा कर से एक तिहाई ही है बाकी सब नाजायज कब्जा है पुरातन इतिहास पर यदि हम नजर डाले तो हमे ज्ञात होगा कि विभिन्नसंधियो में उल्लेख है कि कैलाश मानसरोवर क्षेत्र के विकास हेतु राजस्व हेतु वसूली कर का टैक्स का संग्रह भारत द्वारा करते हुए मानसरोवर क्षेत्र के विकास पर खर्च कियाजता था । दो द्विवाशीय चिंतन बैठक में देश के विभिन्न प्रांतों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया । गंगोत्री धाम मंदिर समिति के उत्तराखंड के अध्यक्ष के रावल हरीश सेमवाल ,वृंदावन के पूज्य संत आदरणीय सुनील कौशल जी महाराज ,देश की लोकप्रिय कवित्री श्रीमती रुचि चतुर्वेदी ,उत्तर क्षेत्र संयोजक श्री दिनेश जिंदल ,अंतर्राष्ट्रीय प्रभाग के संयोजक सुखमिंदर पाल सिंह ग्रेवाल असम से श्री मति अलका पटवारी ,हिमांचल से श्री जोगिंदर सिंह वर्मा ,पंजाब से हरिजित सिंह भुल्लर ,कश्मीर से विवेक सिंहल ,मंजरी सिंह ,गुजरात से हरी भाई ,राजस्थान से श्री ओम प्रकाश त्रिपाठी,श्री ओम कारसिंह राजपुरोहित ,सिकिक्म से शशि शर्मा ,किशोर कुमार राई ,जश माया दोरजी और हरियाणा से अनूप गिरी जी महाराज ,दिल्ली से विजय दीप बलराज धनकड ,संदीप धनकड़ ,,विपिन विनवाल ,सुनील काशी प्रमुख से नागेंद्र कविदायाल सहित देश के अनेक प्रांतों से आए अनेक पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया काशी प्रान्त के भारत तिब्बत संघ के काशी प्रान्त के अध्यक्ष नागेंद्र प्रकाश कवि दयाल ने यह संदेश दिया कि इसे आंदोलन का स्वरूप देना आवश्यकता है संघ का विशाल एक अनेक प्रांतों में भी खड़ा हो चुका है ,केवल राष्टीय महामंत्री श्रीमान सौरभ स्वारस्वत जी निर्देशानुसार शीघ्र ही एक संघीय ढांचा विकसित किया जाना है , जिससे संघ के उद्देश्यों की प्राप्ति का मार्ग सुविकसित हो सके

