मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) से 4 साल की मासूम का अपहरण और 6 महीने बाद वाराणसी में परिवार से पुनर्मिलन
मुंबई जैसे भीड़-भाड़ वाले महानगर में बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी। महाराष्ट्र के सोलापुर की एक 4 साल की बच्ची को मई 2025 में मुंबई के CSMT के पास से अगवा कर लिया गया था और लगभग 6 महीने बाद नवंबर 2025 में उसे उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सकुशल बरामद कर उसके माता-पिता से मिला दिया गया। यह मामला पुलिस की अथक मेहनत और जन-सहयोग का शानदार उदाहरण बना।
अपहरण: परिवार पर छाया दुःख का बादल
बच्ची अपने माता-पिता और छोटे भाई के साथ सोलापुर से पापा के इलाज के लिए मुंबई आई थी। इलाज सेंट जॉर्ज अस्पताल में चल रहा था। 20 मई 2025 की रात को लंबी यात्रा से थके हुए परिवार ने CSMT के फोर्ट इलाके के पास अस्थायी रूप से आराम करने का फैसला किया (ऐसा बाहर से आने वाले यात्री अक्सर करते हैं)।
माता-पिता पास में सो रहे थे, बच्ची नजदीक ही खेल रही थी। तभी करीब 25 साल का एक अज्ञात व्यक्ति आया और बच्ची को उठाकर चला गया। सुबह करीब 3 बजे जब माता-पिता की नींद खुली तो बच्ची गायब थी। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। 23 मई 2025 को मुंबई के माटा रामाबाई अंबेडकर मार्ग (MRA) थाने में अपहरण का केस दर्ज हुआ।
जांच: सीसीटीवी और ट्रेनों के जरिए सुराग तलाश
मुंबई पुलिस ने तुरंत हरकत में आकर 10 विशेष टीमों का गठन किया। सैकड़ों घंटे के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, जिनमें शामिल थे:
– CSMT स्टेशन परिसर का फुटेज (जहाँ शख्स बच्ची को गोद में लेकर जाते दिखा)
– फोर्ट इलाके के आसपास के कैमरे
– लोकमान्य तिलक टर्मिनस (LTT) और रास्ते के स्टेशन
फुटेज से पता चला कि अपहरणकर्ता बच्ची को लेकर पहले लोकल ट्रेन से दादर-कुर्ला होते हुए LTT गया, फिर वहाँ से वाराणसी जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हो गया। मई के आखिरी या जून के पहले हफ्ते में उसने बच्ची को वाराणसी रेलवे स्टेशन के पास सड़क किनारे छोड़ दिया।
एक दयालु स्थानीय महिला ने रोती हुई बच्ची को देखा, उसे अपने साथ ले गई और फिर नजदीकी अनाथालय (बाल गृह) में सौंप दिया। बच्ची सिर्फ मराठी बोलती थी, इसलिए हिंदी क्षेत्र में कोई उसकी भाषा नहीं समझ पाया। अनाथालय वालों ने उसका नाम “काशी” रख दिया।
अपहरणकर्ता फरार हो गया और कई महीनों तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला। पुलिस की टीमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश – तीन राज्यों में दौड़ती रहीं। वाराणसी में तो कई-कई बार 10-10 दिन तक ठहरीं, लेकिन शुरुआत में सफलता नहीं मिली।
ऑपरेशन शोध: उम्मीद की नई किरण
सितंबर 2025 में मुंबई पुलिस ने “ऑपरेशन शोध” शुरू किया। वाराणसी में यह अभियान और तेज कर दिया गया। इसमें सहयोग किया:
– वाराणसी पुलिस और रेलवे अधिकारियों ने
– स्थानीय पत्रकारों और मीडिया ने
1 से 15 नवंबर 2025 के बीच अभियान ने जोर पकड़ा:
– बच्ची की तस्वीरें वाराणसी के हर थाने में भेजी गईं
– शहर भर में पोस्टर-बैनर लगाए गए, खासकर रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक जगहों पर
– स्थानीय अखबारों में विज्ञापन दिए गए
इसी दौरान मोड़ आया। 12 नवंबर 2025 के आसपास एक हिंदी पत्रकार ने पोस्टर देखा और उन्हें याद आया कि जून से अनाथालय में एक मराठी बोलने वाली बच्ची है जो बिल्कुल वैसी ही दिखती है। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। मुंबई पुलिस की टीम फौरन वाराणसी पहुँची।
पुनर्मिलन: बाल दिवस पर भावुक मुलाकात
पुलिस ने अनाथालय पहुँचकर बच्ची की वीडियो कॉल से माता-पिता से पुष्टि की, शारीरिक पहचान और परिवार के सदस्य ही जानते वाले निशान देखे। वाराणसी चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद बच्ची को सुपुर्द किया गया।
14 नवंबर 2025 को – यानी बाल दिवस के दिन – मुंबई में बच्ची का अपने माता-पिता से मिलन हुआ। पुलिस स्टेशन में परिवार ने आँसुओं भरी आँखों से बेटी को गले लगाया। बच्ची पूरी तरह स्वस्थ थी, हालांकि सदमे में थी। पिता ने पुलिस और जन-सहयोग को “चमत्कार” बताया और बार-बार धन्यवाद कहा।
अभी भी बाकी है अपहरणकर्ता की तलाश
खुशी के इस पल के बावजूद केस पूरी तरह बंद नहीं हुआ है। अपहरणकर्ता अभी भी फरार है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज और उसके रूट के आधार पर उसकी तलाश जारी रखे हुए है।
यह घटना हमें बताती है कि CSMT जैसे जगहों पर जहाँ रोज़ 10 लाख से ज्यादा यात्री आते-जाते हैं, वहाँ बच्चों की सुरक्षा का कितना बड़ा चुनौती भरा काम है।
फिर भी, यह कहानी दुख से शुरू होकर पुलिस की लगन और लोगों के सहयोग से उम्मीद और खुशी पर खत्म हुई। अगर आपके साथ या आपके जानने वाले के साथ ऐसा कभी हो, तो तुरंत चाइल्डलाइन हेल्पलाइन 1098 पर कॉल करें।

