एक लड़की ने अपनी माँ से कहा, अम्मी, मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ हम-बिस्तर होना चाहती हूँ, मुझे इजाज़त दे दो।”
माँ बड़ी अक्लमंद थी۔ उसने कुछ सोचा और बोली,
ठीक है बेटी, मैं इजाज़त दूँगी, लेकिन पहले एक हफ़्ते तक तुम्हे मेरी एक शर्त पूरी करनी होगी।
शर्त ये थी कि हर रोज़ सुबह लड़की बादशाह के महल के सामने जाए, और जब बादशाह अपना क़ाफ़िला लेकर निकले तो ज़मीन पर बेहोश की तरह गिर पड़े, फिर जो कुछ भी हो उसे आकर माँ को सच-सच बताए।
पहला दिन:
लड़की गिरी। बादशाह ख़ुद घोड़े से उतरा, और उसने लड़की को अपने हाथों उठाया, हालत देखी, दवाइयाँ दिलवाईं और सुरक्षित घर पहुँचाने का हुक्म दिया।
दूसरा दिन:
लड़की फिर गिरी। इस बार बादशाह ने मुड़कर भी नहीं देखा, आगे बढ़ गया। और वज़ीर ने दौड़कर उसे उठाया, कपड़े झाड़े और चला गया।
तीसरा दिन:
लड़की ने ख़ास तौर पर वज़ीर के सामने गिरने की कोशिश की।
मगर इस बार वज़ीर ने भी आँखें फेर लीं। और सेनापति ने आकर उसे सँभाला।
चौथा दिन: सेनापति ने भी नज़रअंदाज़ कर दिया।
एक साधारण सिपाही ने उठाया।
पाँचवाँ दिन: सिपाही भी नहीं रुके। रास्ते में चलते एक आम राहगीर ने रुककर उसे उठाया ।
छठा दिन: लोगों ने लातें मार-मार कर उसे रास्ते से हटाया। फिर एक भिखारी ने उसे उठाया और किनारे की तरफ ले गया।
सातवाँ दिन: कोई इंसान नहीं रुका। एक आवारा कुत्ता आया और उसके मुँह-चेहरे को चाटने लगा।
सात दिन पूरे हुए तो माँ ने बेटी को गले लगाया और धीरे से समझाया: “बेटी, यही होता है इस समाज में।
जब कोई लड़की पहली बार ‘गिरती’ है, तो सबसे पहले कोई बादशाह या बिगड़ा हुआ अमीरज़ादा उसकी इज़्ज़त लूटता है। फिर उसे अपने से थोड़े छोटों के लिए छोड़ देता है। फिर छोटे उसे और छोटों के लिए।
धीरे-धीरे यही लड़की एक दिन गली के कुत्तों और लफंगों के लिए सस्ता माल बन कर रह जाती है, जिसे कोई उठाने की ज़हमत भी नहीं करता, बल्कि लात मारकर रास्ते से हटा दिया जाता है।

