*_APO भर्ती में 50% से अधिक रिजर्वेशन की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मांगी जानकारी_*
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एपीओ भर्ती के विज्ञापन में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक करने को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से जानकारी मांगी है. यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने अभिषेक राय की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तारीख लगाई है.
याचिका के अनुसार सामान्य श्रेणी के याची ने सहायक अभियोजन अधिकारी पद के लिए आवेदन किया है. उसका कहना है कि एपीओ भर्ती के लिए जारी गत 16 सितंबर के के विज्ञापन के अनुसार कुल 182 रिक्तियों में से अनुसूचित जाति श्रेणी को 67, ओबीसी श्रेणी को 61, अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लिए नौ, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 18 और शेष 27 सीटें अनारक्षित श्रेणी के लिए आवंटित की गई हैं.
कहा गया है कि रिक्तियों/सीटों के आवंटन के दृष्टिकोण से स्पष्ट है कि अनारक्षित श्रेणी के लिए कुल रिक्तियों का 14.83 प्रतिशत आवंटित किया गया है जबकि अनुसूचित जाति श्रेणी को 37 प्रतिशत और ओबीसी श्रेणी को 33.50 प्रतिशत आवंटित किया गया है. विज्ञापन में महिलाओं के लिए 36 पद यानी 19.78 प्रतिशत, भूतपूर्व सैनिकों के लिए 9 रिक्तियां और शारीरिक रूप से विकलांग (पीएच) के लिए 7 रिक्तियां आरक्षित हैं.
कहा गया है कि अनारक्षित श्रेणी को 14.83 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित अधिकतम आरक्षण के 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार कहा है कि आरक्षण की सीमा विज्ञापित कुल रिक्तियों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती. एकमात्र अपवाद अत्यधिक परिस्थितियों या कुछ जनजातियों के प्रतिनिधित्व के प्रभुत्व की मजबूरी है, विशेष रूप से उत्तर पूर्व राज्यों में और ऐसे विचलन के लिए उचित सर्वेक्षण विज्ञापन और अधिसूचना सर्वोपरि आवश्यकताएं हैं.
उत्तर प्रदेश में ऐसी कोई असाधारण स्थिति नहीं है और न ही इंद्रा साहनी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अंतिम रूप दिए गए आरक्षण के स्थापित कानून से विचलन के लिए कोई विशिष्ट अधिसूचना या वर्गीकरण के संबंध में कोई उल्लेख है. याचिका में एपीओ भर्ती के लिए जारी गत 16 सितंबर के विज्ञापन के प्रभाव और संचालन को याचिका के लंबित रहने के दौरान रोकने की मांग की गई है.

