राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत : पत्रकार हितों की नई परिभाषा गढ़ता एक सशक्त संगठन
— डॉ. देवेंद्र सिंह बघेल, राष्ट्रीय पर्यवेक्षक
पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कही जाती है। समाज की आवाज़ बनकर काम करने वाले पत्रकार आज अनेक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। कभी आर्थिक असुरक्षा, तो कभी प्रशासनिक उपेक्षा या सामाजिक दबाव—इन सबके बीच पत्रकारों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए एक सशक्त मंच की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इसी भावना से प्रेरित होकर एक नाम उभरकर सामने आया — जगदीश सिंह, जिन्होंने पत्रकारों के हितों के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।
जगदीश सिंह विभिन्न राष्ट्रीय पत्रकार संगठनों में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे। उन्होंने अनुभव किया कि पत्रकारों की समस्याओं के समाधान के लिए अब एक नई सोच और नई कार्यशैली वाले संगठन की जरूरत है। इसी सोच के परिणामस्वरूप “राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत” की स्थापना की गई — जो एक ट्रस्ट के रूप में गठित हुआ। जगदीश सिंह ने इसके प्रमुख दृष्टा एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कमान संभाली और पत्रकारों के अधिकारों, सुरक्षा, और सम्मान के लिए संघर्ष का नया अध्याय शुरू किया।
“कारवां अकेला चला, कुछ लोग साथ जुड़े, कुछ साथ छोड़ गए” — यह वाक्य संगठन की यात्रा का सटीक चित्रण करता है। लेकिन इस यात्रा में कई समर्पित हस्तियाँ जुड़ीं, जिन्होंने इस संघ को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की। इन्हीं में से एक हैं अजय कुमार उपाध्याय — समाजसेवी एवं वरिष्ठ पत्रकार, जिन्होंने अपने समर्पण और संगठनात्मक कौशल से “राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत” को मजबूती दी। अजय उपाध्याय ने न केवल देश के कोने-कोने में संगठन को फैलाया, बल्कि सोशल मीडिया और व्यक्तिगत सम्पर्कों के माध्यम से इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
अजय उपाध्याय के मार्गदर्शन में संगठन में एक और मजबूत कड़ी जुड़ी — कुलदीप सिंह राठौर। उन्हें संगठन का राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संरक्षक नियुक्त किया गया। राठौर जी के कुशल नेतृत्व और व्यापक संपर्कों के चलते संगठन ने अपनी उपस्थिति लगभग 40 देशों तक दर्ज कराई। आज “राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत” न केवल भारत के भीतर बल्कि विश्व स्तर पर भी पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्यरत है।
संगठन के राष्ट्रीय सचिव के रूप में संतोष बरनवाल ने भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई। गोरखपुर में आयोजित कार्यक्रमों की सफल व्यवस्था और संगठन के विस्तार में उनके योगदान ने संघ की कार्यशैली को एक नई ऊंचाई दी।
संगठन की राष्ट्रीय व्यवस्था और दिशा को समन्वित करने के लिए डॉ. देवेंद्र सिंह बघेल को राष्ट्रीय संयोजक के रूप में जोड़ा गया। वर्तमान में वे संगठन के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं। डॉ. बघेल न केवल संगठन की हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर नज़र रखते हैं, बल्कि पत्रकारों से सीधा संवाद स्थापित कर समस्याओं का तत्काल समाधान सुनिश्चित करते हैं। किसी भी राज्य या जिले में यदि किसी पत्रकार के साथ कोई अन्याय या समस्या होती है, तो वह सीधे राष्ट्रीय पर्यवेक्षक से संपर्क करता है — और तत्काल प्रभाव से उचित कार्यवाही की जाती है।
हाल ही में इलाहाबाद में हुई एक घटना के बाद डॉ. बघेल को लगभग दस से अधिक पत्रकारों के फोन आए, जिनकी समस्याओं पर उन्होंने व्यक्तिगत रूप से वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर आवश्यक कार्यवाही कराई। यह इस बात का प्रमाण है कि “राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत” केवल नाम का संगठन नहीं, बल्कि पत्रकारों के लिए एक सक्रिय सुरक्षा कवच बन चुका है।
संगठन की शक्ति उसके पदाधिकारियों या नामों में नहीं, बल्कि उसकी संघीय एकता और सामूहिक भावना में निहित है। इस संगठन ने साबित किया है कि अगर उद्देश्य पवित्र हो और नेतृत्व समर्पित, तो कोई भी संघर्ष असंभव नहीं होता।
आज “राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत” जगदीश सिंह के नेतृत्व और कुलदीप सिंह राठौर, अजय कुमार उपाध्याय, संतोष मौर्य बरनवाल, विनोद सिंह और डॉ. देवेंद्र सिंह बघेल जैसे कर्मठ साथियों के सहयोग से नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है। पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा, सम्मान की बहाली और सामाजिक न्याय की भावना को साकार करने के इस अभियान में हर सदस्य अपनी भूमिका निभा रहा है।
हम आभार व्यक्त करते हैं उन सभी साथियों का, जिन्होंने इस संगठन को विश्वास, श्रम और सहयोग से सींचा —
जगदीश सिंह (राष्ट्रीय अध्यक्ष),
कुलदीप सिंह राठौर (राष्ट्रीय संरक्षक),
अजय कुमार उपाध्याय अंतर्राष्ट्रीय प्रभारी संरक्षक मंडल,
संतोष बरनवाल (राष्ट्रीय सचिव),
विनोद सिंह (सहयोगी सदस्य),
और सभी प्रदेश, जिला एवं ब्लॉक स्तरीय प्रतिनिधि, जिनके कारण यह संगठन पत्रकारों की आशा का केंद्र बन गया है।
“राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत” आज केवल एक संगठन नहीं, बल्कि पत्रकारिता की गरिमा, साहस और स्वतंत्रता की नई परिभाषा है — जो नित्य नई ऊँचाइयों को छूने की दिशा में अग्रसर है।

