
पातालगरुड़ी एक जादुई पौधा जो शराब क्या हर नशा छुड़ा देगा पातालगरुड़ी नाम सुनकर अजीब लग रहा होगा न! हिन्दी में यह जलजमनी, छिरहटा, छिरेटा, फरीदबूटी, चिरिहिंटा, पातालगरुड़ी ऐसे अनेक नामों से जाना जाता है। असल में घरों के आस-पास, नम छायादार जगहों में इस तरह के बेल नजर में आते हैं।
इन बेलों के कारण जल जम जाता हैं वहां इसलिए इन्हें जलजमनी भी कहा जाता है। आयुर्वेद में लेकिन इस बेल के अनेक औषधीय गुण का परिचय भी मिलता है। चलिये इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।
पातालगरुड़ी क्या है : पातालगरुड़ी बेल बरसात के दिनों में सब जगह उत्पन्न होती है, इसके पत्तों को पीसकर पानी में डालने से पानी जम जाता है, इसलिए इसको जलजमनी कहते हैं। इसकी जड़ के अन्त में जो कन्द या बल्ब होता है, उसे जल में घिसकर पिलाने से उल्टी करवाकर सांप का विष निकालने में मदद मिलती है, अत: इसे पातालगरूड़ी कहते हैं। पाठा मूल के स्थान पर इसकी जड़ों को बेचा जाता है या पाठा मूल के साथ इसकी जड़ों की मिलावट की जाती है।
पाठा के जैसी किन्तु अधिक मोटी तथा दृढ़ लता होती है। नई बेल धागा जैसी पतली तथा पुरानी बेल अधिक मोटी होती है। इसके फल छोटे, गोल, चने के बराबर, चिकने, झुर्रीदार, बैंगनी काले रंग के, मटर आकार के, कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर काले या बैंगनी रंग के होते हैं। इसकी जड़ टेढ़ी, स्निग्ध, हलकी भूरी अथवा पीले रंग की, जमीन में गहराई तक गई हुई, सख्त तथा अन्त में कन्द से युक्त व स्वाद में कड़वी होती है।
पातालगरुड़ी के औषधीय गुण : सिरदर्द – हर दिन तनाव से सर फटने लगता है तो पातालगरुड़ी का इस्तेमाल इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिल सकता है। इसके लिए पातालगरुड़ी जड़ तथा पत्ते को पीसकर सिर पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलने में मदद मिलती है।
रतौंधी – पातालगरुड़ी का औषधीय गुण पातालगरुड़ी के पत्तों को पकाकर सेवन करने से रात्र्यान्धता (रतौंधी) में लाभ होता है।
आँखों के रोग पातालगरुड़ी पत्ते के रस का अंजन करने से अभिष्यंद (आँखों का आना) तथा आँखों में दर्द में लाभ होता है।
दांतों का दर्द – दांत दर्द से परेशान रहते हैं तो पातालगरुड़ी के औषधीय गुणों का इस्तेमाल इस तरह से करने से जल्दी आराम मिलता है। पातालगरुड़ी पत्ते के पेस्ट को दाँतों पर मलने से दांत दर्द से आराम मिलता है।
अजीर्ण या बदहजमी – खाने-पीने में गड़बड़ी होने के वजह से बदहजमी की समस्या से परेशान रहते हैं तो 1-2 ग्राम पातालगरुड़ी जड़ चूर्ण में समान भाग में अदरक तथा शर्करा मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण से आराम मिलता है।
अतिसार_या_दस्त_dysentry – खान-पान में असंतुलन होने से अक्सर दस्त जैसी समस्या होती है। 5 मिली पातालगरुड़ी जड़ के रस का सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है।
श्वेतप्रदर_या_ल्यूकोरिया – पातालगरुड़ी के नये पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली काढ़े में शर्करा मिलाकर सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ होता है।
पूयमेह या_गोनोरिया – 5 मिली पातालगरुड़ी पत्ते के रस को जल में जैली की तरह जमाकर और दही के साथ सेवन करने से पूयमेह या शुक्रमेह (गोनोरिया) में लाभ होता है। इसके अलावा 5 मिली पातालगरुड़ी पत्ते के रस को पिलाने से सूजाक में लाभ होता है।
स्वप्नदोष – 10 ग्राम छाया में सुखाया हुआ जलजमनी पत्ते के चूर्ण में घी में भुनी हुई हरड़ का चूर्ण मिलाकर, इसके समान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह शाम 2 ग्राम की मात्रा में गाय दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है। औषध सेवन काल में पथ्य पालन आवश्यक है।
आमवात_या_गठिया के दर्द से दिलाये राहत – गठिया के दर्द से परेशान रहते हैं तो पिप्पली तथा बकरी के दूध से सिद्ध जलजमनी के 10-20 मिली काढ़े का सेवन करने से जीर्ण आमवात (गठिया) अथवा रतिज रोगों के कारण उत्पन्न दर्द में लाभ होता है। इसके अलावा 5 ग्राम जलजमनी की जड़ को 50 मिली बकरी के दूध में उबालकर छानकर, उसमें 500 मिग्रा पिप्पली, 500 मिग्रा सोंठ तथा 500 मिग्रा मरिच डालकर पिलाने से आमवात, त्वचा संबंधी बीमारियों तथा उपदंश (Syphilis) की वजह से होने वाले संधिवात में लाभ होता है। जलजमनी पत्ते को पीसकर लगाने से संधिवात या अर्थराइटिस में लाभ होता है।
त्वचा_संबंधी_समस्याओं में फायदेमंद पातालगरुड़ी – जलजमनी पत्ते के रस का लेप करने से छाजन, खुजली, घाव तथा जलन से राहत मिलने में आसानी होती है।
राजयक्ष्मा या #तपेदिक के इलाज में लाभकारी पातालगरुड़ी – 5 मिली जलजमनी पत्ते के रस को 50 मिली तिल तेल में मिलाकर, पकाकर, छानकर तेल प्रयोग करने से क्षय रोग में लाभ होता है।
शराब व #भांग की लत छुड़ाने में लाभकारी पातालगरुड़ी – जलजमनी के 2-4 ग्राम चूर्ण को प्रतिदिन 1 माह तक सेवन करने से शराब तथा भांग की आदत छूट जाती है। इसका प्रयोग करते समय यदि उल्टी हो तो इसकी मात्रा कम कर देनी चाहिए।
पेटदर्द से दिलाये आराम पातालगरुड़ी – लता करंज के बीजचूर्ण तथा जलजमनी जड़ के चूर्ण को मिलाकर 1-2 ग्राम मात्रा में सेवन कराने से बच्चों के पेट के दर्द से आराम मिलता है।
सांप के विष के असर को कम करने में फायदेमंद पातालगरुड़ी पातालगरुड़ी जड़ को पीसकर पानी में घिसकर 1-2 बूँद नाक लेने से तथा इसके 5 मिली पत्ते के रस में 5 मिली नीम पत्ते के रस में मिलाकर पीने से सांप के काटने से जो विष का असर होता है उसको कम करने में मदद मिलता है।
जलजमनी मधुर, कफ, पित्तशामक, दाहशामक होती हैं |
जलजमनी पत्र का क्वाथ पुराने से पुराने श्वेत प्रदर के समस्या को आसानी से ठीक कर देती हैं |
जलजमनी पत्र का चूर्ण 10gm (छाया में सुखाया )एवं घी से भुनी हरड़ 10gm एवं मिश्री 20gm मिला कर लेने से स्वप्न दोष दूर हो जाती हैं| मात्रा 02gm पथ्य सेवन अनिवार्य हैं |
अपने दाहशामक एवं पित्तशामक गुणों के कारण यह शरीर में होने वाली दाह(जलन) को भी ही दूर करता हैं।
श्वेत प्रदर दूर करे: श्वेत प्रदर या रक्त प्रदर में इसकी पत्तियों को को पीसकर 5-7 ग्राम रस निकाल लें और एक कप पानी में मिला लें, उसमें थोड़ी मिश्री व काली मिर्च डालकर दिन में दो बार सेवन करें। दो-तीन दिन में ही यह औषधि अपना रंग दिखाने लगती है।
यौन समस्याओं का हल: यदि महिलाओं को माहवारी जल्दी-जल्दी आ रही है, ज़्यादा ब्लीडिंग हो रही है, पेशाब में जलन हो रही है या पुरुषों में स्वप्नदोष, शीघ्रपतन या धातुक्षीणता की समस्या है तो जलजमनी के रस का 15 दिन तक सेवन करना चाहिए। ताज़ा रस ज़्यादा लाभकारी है। यदि यह रोज़ संभव न हो तो इसकी टहनियों सहित इसे सुखा लें और कूटकर पाउडर बना लें। दो-दो ग्राम पाउडर मिश्री व दूध के साथ सेवन करें।
नक़सीर का इलाज: नाक से ख़ून गिरता हो या जलन होती हो तो इसकी पत्तियों का रस या सूखा पाउडर एक-एक चम्म्च पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है। यदि रोगी शीत प्रकृति का है तो इसका ज़्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।
यह औषधि गोनोरिया रोग में भी काफ़ी लाभप्रद है।
नोट इसके पत्ते में पानी को दही के जैसा जमा देने का गुण पाया जाता हैं| तस्वीर देखे
पातालगरुड़ी के उपयोगी भाग : पत्ता और जड़
पातालगरुड़ी का उपयोग: यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए पातालगरुड़ी का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें।
चिकित्सक के सलाह के अनुसार 2-4 ग्राम चूर्ण ले सकते हैं।