
ब्लॉक खलीलाबाद के बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत निशात जबीं नामक अध्यापिका अक्सर एक छाता अपने साथ लेकर विद्यालय आती हैं।
धूप छांव और बरसात से वह छाता उन्हें बचाता भी है,
लेकिन उन्होंने बताया कि सर उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि मेरे पिता जी जब हज करने मदीना शरीफ गए थे तो अल हिन्द लिखा यह छाता मेरे लिए वहीं से लाए थे।
इससे अपने देश की पहचान और पिता जी का दिया हुआ तोहफा मैं हमेशा अपने साथ रखती हूँ।
उन्होंने बताया कि भारतीय मुसलमानों को अरब वाले हिन्दी और अलहिंद कह कर पुकारते हैं।
यह छाता सिर्फ़ एक वस्तु नहीं,
बल्कि निशात जी के लिए उनके पिता का प्रेम और आशीर्वाद है।
इसे हमेशा साथ रखना एक भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।
छाते पर लिखा
‘अल हिन्द’
न केवल उनके लिए भारत की पहचान का प्रतीक है,
बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय मुसलमानों को अरब देशों में एक विशेष पहचान से देखा जाता है –
“हिन्दी” या “अल हिन्द”।
मदीना शरीफ जैसी पवित्र जगह से यह उपहार आना, और उसे दैनिक जीवन में उपयोग करना, यह दर्शाता है कि धर्म और परंपरा किस प्रकार व्यक्तिगत जीवन में आत्मसात होती हैं।
एक शिक्षिका के रूप में निशात जी का यह भाव बच्चों के बीच सकारात्मक संदेश देता है –
अपने मूल, संस्कृति और परिवार से जुड़े रहने का।
(ज्ञान चंद्र मिश्र)
खण्ड शिक्षा अधिकारी
मेंहदावल