
1️⃣0️⃣❗1️⃣1️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣4️⃣
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! परिश्रम रूपी धन !!*
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सुन्दरपुर गांव में एक किसान रहता था।
उसके चार बेटे थे।
वे सभी आलसी और निक्कमे थे।
जब किसान बुढ़ा हुआ तो उसे बेटों की चिंता सताने लगी।
एक बार किसान बहुत बीमार पड़ा।
मृत्यु निकट देखकर उसने चार बेटों को अपने पास बुलाया।
उसने उस चारों को कहा, “मैंने बहुत-सा धन अपने खेत में गाड रखा है।
तुम लोग उसे निकाल लेना।”
इतना कहते-कहते किसान के प्राण निकल गए।
पिता का क्रिया-क्रम करने के बाद चारों भाइयों ने खेत की खुदाई शुरू कर दी।
उन्होंने खेत का चप्पा-चप्पा खोद डाला, पर उन्हें कही धन नहीं मिला। उन्होंने पिता को खूब कोसा।
वर्षा ऋतु आने वाली थी। किसान के बेटों ने उस खेत में धान के बीज बो दिए। वर्षा का पानी पाकर पौधे खूब बढ़े।
उन पर बड़ी-बड़ी बालें लगी। उस साल खेत में धान की बहुत अच्छी फसल हुई।
चारों भाई बहुत खुश हुए। अब पिता की बात का सही अर्थ उनकी समझ में आ गया।
उन्होंने खेत की खुदाई करने में जो परिश्रम किया था, उसी से उन्हें अच्छी फसल के रूप में बहुत धन मिला था।
इस प्रकार श्रम का महत्व समझने पर चारों भाई मन लगाकर खेती करने लगे।
*शिक्षा:-*
परिश्रम ही सच्चा धन है।
*सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।।*