महराजगंज का यह बाजार घी एवं दही के लिए साथ था मशहूर,
अब हालत बदहाल
महराजगंज,पूर्वांचल के प्रमुख व्यवसायिक केंद्र के रूप में महराजगंज का सिसवा बाजार को जाना जाता था।
अनाज सहित विभिन्न खाद्य पदार्थों व सब्जी के व्यवसाय के लिए पड़ोसी मुल्क नेपाल व बिहार सहित दूर दूर से व्यापारी मंडी में आते थे। 150 वर्ष पुरानी नगर पंचायत रही इस बाजार में अनाज के साथ किराना, दवा व कपड़ा व्यवसाय भी खूब तरक्की पर था।
टिकोरी सिंह के सिसवा के नाम से प्रसिद्ध यह बाजार आजादी के बाद से काफी उन्नति पर था।
यहां नेपाल, बिहार के गोपालगंज सहित गोरखपुर मंडल के कई जनपदों के व्यापारी व्यवसाय के लिए आते थे। यहां सप्ताह में दो दिन बुधवार और शनिवार को बाजार लगती थी।
इस कस्बे की दिल कही जाने वाली गुदड़ी गली (जो अब मेन मार्केट है) में घी और दही की दुकाने सजती थीं तो वहीं मसाले व गुड़ का बाजार भी लगता था।
गल्लामंडी पूरी तरह गुलजार हुआ करती थी, सैकड़ों की संख्या में बैलगाड़ियों में गेंहू, चावल, विभिन्न प्रकार के दाल, सरसों, राई सहित विभिन्न खाद्य पदार्थ लाद कर मंडी में बेचने के लिए दूर-दूर से व्यापारी आते थे।
परंतु धीरे-धीरे गल्ला व्यवसाय मंद पड़ने लगा।
सिसवा के वयोवृद्ध नगर व्यापार मंडल अध्यक्ष भगवती स्वर्णकार का कहना कि सिसवा कस्बा व्यवसाय का प्रमुख केंद्र था।
अब बड़े व्यापारी बड़े शहरों का रूख कर लिए हैं। यहां का घी एवं दही काफी मशहूर था। कपड़े का कारोबार भी काफी बड़ा था। लेकिन उम्मीद के अनुसार इस कस्बे का विकास नहीं हो सका।
बिहार प्रांत को जोड़ने वाली पनियहवा गंडक नदी पर पुल निर्माण के बाद से यह बाजार कपड़ा, किराना सामान व दवा का मुख्य व्यवसायिक केंद्र बन कर उभरा था। लेकिन अब बडे़ व्यवसायी बड़े शहरों की तरफ रुख कर लिए और देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपना व्यापार स्थापित कर लिए हैं। वहीं धीरे-धीरे उन्नत बाजार का खत्म होता चला गया

