मध्य प्रदेश के भिंड जिले के छोटे से गांव डोंगरपुरा के जैनेंद्र कुमार निगम की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है।
कभी झूठे केस, जेल, मारपीट, घर जलाना—सब कुछ झेलने वाला यह लड़का आज MPPSC 2023 में DSP बनकर उभरा है।
जैनेंद्र बचपन में अपने पिता को MPPSC की तैयारी करते देखते थे, लेकिन दबंगों द्वारा कराए गए झूठे केसों ने पिता का सपना अधूरा छोड़ दिया।
यही सपना आगे चलकर जैनेंद्र का लक्ष्य बन गया।
2017 में उन्होंने सब-इंस्पेक्टर परीक्षा पास की, लेकिन फिजिकल से पहले गांव के लड़कों के हमले में घायल हो गए और परीक्षा छूट गई।
2019 में शिक्षक परीक्षा पास की, पर जॉइन नहीं किया।
फिर एक दिन 2019 में गांव के दबंगों ने उनका घर जला दिया, लूटपाट हुई और परिवार पर झूठे केस लगा दिए गए।
पूरा परिवार जेल गया। जेल से बाहर आकर टूटने के बजाय जैनेंद्र ने ठान लिया—”अब DSP ही बनना है!”
कोई पैसा नहीं,
कोई साधन नहीं…
फिर भी वह पदयात्रा करते हुए कश्मीर पहुंचे।
लेकिन 2020 लॉकडाउन में वापस लौटना पड़ा।
इसी बीच फिर हमला,
फिर FIR, फिर जेल—लेकिन जैनेंद्र नहीं रुके।
2021 में इंदौर पहुंचकर तैयारी शुरू की।
मुख्य परीक्षा देते समय मलेरिया-टाइफाइड से कमजोर थे।
लेकिन ड्रिप लगवाकर हर पेपर दिए।
आखिरकार 7 नवंबर 2025 को परिणाम आया और जैनेंद्र ने पिता को फोन कर कहा—
“पापा… मैं DSP बन गया!”
कुछ क्षण की चुप्पी… और फिर पिता के सपने की जीत।
आज जैनेंद्र साबित कर चुके हैं—
परिस्थिति चाहे कितनी भी बुरी क्यों न हो।
हिम्मत और जिद हर कहानी बदल देती है। 💪🔥

