
ये रहा शिमला का सबसे फालतु इंसान।
सरबजीत सिंह ( बॉबी )
न तो इसको घर पे कोई काम है और न दूकान पर।
कभी एंबुलेंस लेकर मरीजों को आई जी एम सी छोड़ने जा रहा होता है तो कभी मृत लावारिस लाशो को शमशान ले जाता है।
शाम को लोग /पर्यटक जब माल रोड पर घूमते हुए मौसम का आनंद ले रहे होते है ये फालतू सरदार कैंसर हस्पताल में मरीजों को खिचड़ी का लंगर लगा के खिला रहा होता है।
सवेरे सवेरे उठकर लोग सैर पे निकलते है और ये सरदार मरीजों को बिस्कुट खिला रहा होता है।
रविवार को भी इसको चैन नही होता माल रोड पर ब्लड कैंप लगा कर लोगो का खून निकाल रहा होता है।
ऐसा है ये फालतू इंसान।
वाहगुरु ऐसे फालतू हर शहर में भी पैदा करो जी।
इंसानियत को खत्म होने से बचाते है ऐसे फालतू लोग।
गरीबो के आंसू नही टपकने देते ऐसे फालतू लोग।
वैसे भी आजकल कोई फालतू नही जो दुसरो के लिए थोड़ा वक़्त निकाल सके।
और दुसरो के बारे में सोच सके उनकी तकलीफों को अपना सके।
ओ फालतू बॉबी !!!हर शहर में क्यों नही पैदा हुआ ?
हर शहर में भी मरीज है ,
उन्हें कोई हाथ भी नही लगाता।
वहां भी लावारिस लाशें लावारिस ही पड़ी रहती है भाई जी। वहां पर भी मरीजों को चाय बिस्कुट खिलाने वाला कोई तेरे जैसा फालतू बंदा चाहिए।
सरबजीत सिंह बॉबी
को सलाम !!! ©️