[11/11, 19:51] Dinesh Pandit: ये छठ जरुरी है :
हम-आप सभी के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं
उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है
ये छठ जरुरी है :
उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं
उस परिवार के लिये जो टुकड़ो में बंट गया है
ये छठ जरुरी है :
उस नई पौध के लिए जिन्हें नहीं पता की दो कमरों से बड़ा भी घर होता है
उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है
ये छठ जरुरी है :
उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है
जो बताता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है
ये छठ जरुरी है :
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी प्रणाम करना सिखाता है
ये छठ जरुरी है :
गागर , निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए
ये छठ जरुरी है :
सूप और दउरा को बनाने वालों के लिए
ये बताने के लिए कि , इस समाज में उनका भी महत्व है
ये छठ जरुरी है :
उन दंभी पुरुषों के लिए जो नारी को कमज़ोर समझते हैं
ये छठ जरुरी है , बेहद जरुरी
बिहार के योगदान और बिहारियों के सम्मान के लिए
सांस्कृतिक विरासत और आस्था को बनाये रखने के लिए
परिवार तथा समाज में एकता एवं एकरूपता के लिए |
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[11/11, 19:51] Dinesh Pandit: लेख,, पंडित दिनेश तिवारी ब्यूरो प्रमुख कुशीनगर एसीएम न्यूज

