
“अमेठी से विंध्याचल तक — आस्था और विकास का संगम”
पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के दौर में लिखा गया धर्मस्थलों का स्वर्णिम अध्याय
अमेठी से विंध्याचल तक मंदिरों और धार्मिक स्थलों का कायाकल्प
अमेठी।
पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने अपने पांच वर्षीय कार्यकाल 2012-17) में अमेठी के विकास को नई दिशा देने के साथ-साथ धार्मिक आस्था के संरक्षण में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई। गरीब और जरूरतमंदों के दरवाजे तक इंटरलॉकिंग सड़कों, इंडिया मार्का नलों और सोलर लाइट की सुविधा पहुंचाने के साथ उन्होंने अमेठी से लेकर विंध्याचल तक मंदिरों, मस्जिदों और मजारों का जीर्णोद्धार कर क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संजोया।
धर्मनिष्ठ और आस्थावान प्रजापति परिवार द्वारा किए गए इन कार्यों की सराहना आज भी खुले मन से की जाती है। उनके कार्यकाल में मुख्य धार्मिक विकास कार्य:
1. अष्टभुजी मंदिर, विंध्याचल (मिर्जापुर) – सीढ़ियों पर छाजन और जीर्णोद्धार।
2. श्री हनुमानगढ़ी मंदिर, अमेठी – आठ लाख रुपये की लागत से व्यापक विकास।
3. कालिकनधाम संग्रामपुर – गायत्री मंदिर का निर्माण एवं अन्य कार्य।
4. श्री हनुमान मंदिर, ठेंगहा संग्रामपुर – जीर्णोद्धार में सहयोग।
5. जगेशरनाथ मंदिर, हिंडोरिया – संपर्क मार्ग और जीर्णोद्धार।
6. श्री मुकुटनाथ मंदिर, ताला – संपर्क मार्ग और अन्य विकास कार्य।
7. टीकरमाफी आश्रम मंदिर – सड़क निर्माण और जीर्णोद्धार।
8. शिव मंदिर, रणवीरनगर – कायाकल्प।
9. नगरडीह भादर स्थित मंदिर – नवनिर्माण।
10. श्री काली मंदिर, विशेषरगंज – जीर्णोद्धार।
11. जामा मस्जिद, अमेठी – हाते में इंटरलॉकिंग।
12. मलिक मुहम्मद जायसी की मजार सौंदर्यीकरण।
इसके अतिरिक्त, पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के प्रयासों से क्षेत्र के दर्जनों अन्य मंदिरों और धार्मिक स्थलों का भी सौंदर्यीकरण हुआ।
आस्था का सम्मान
पूर्व मंत्री के प्रतिनिधि अनिल प्रजापति ने कहा, “भारत धर्मपरायण देश है, यहां की जनता गहरी धार्मिक आस्था रखती है। मंत्री जी ने अपने कार्यकाल में हिंदू और मुसलमान दोनों समुदायों की आस्था का सम्मान किया। हमारा परिवार हमेशा से धर्म के मार्ग पर चलता आया है और आगे चलता रहेगा
हमारा विश्वास है कि
मार्गदर्शन भी धर्म ही देता है।”
विंध्याचल से आभार
विंध्याचल धाम के साधना शक्ति पीठम के आचार्य केदारनाथ शुक्ला ने कहा, “पहले अष्टभुजी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को धूप, बारिश और ठंड सहनी पड़ती थी, लेकिन पूर्व मंत्री ने छाजन की व्यवस्था कर सभी की परेशानी दूर कर दी।”
गायत्री प्रसाद प्रजापति के कार्यकाल में हुए ये कार्य न केवल धार्मिक स्थलों की भव्यता और सुविधाओं को बढ़ाते हैं, बल्कि यह उनकी धर्मनिष्ठा, आस्था और सर्वधर्म सम्मान के प्रतीक बन गए हैं।
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