
मैंने आज – एक ट्रक के पीछे लिखा एक संदेश देखा, जिसने झकझोर कर रख दिया !!
धीरे हॉर्न बजा रे पगले…. हिंदू समाज सोया है…!!!
मेरी जिज्ञासा इस ट्रक चालक से दो बात करने की हुई । मै उसके पीछे पीछे ही यह सोचकर चलता रहा कर कि कहीँ तो चाय, पानी, नास्ता, खाना आदि करने या फ्रेश होने के लिए ट्रक रुकेगा ।
रास्ते में एक ढाबे पर वो चाय पीने के लिये रुका।
मेरा इरादा तो उससे मिलने का था ही । मैं भी उसी ढाबे पर रुक गया ।
उसके आस पास ही एक चारपाई पर मैं भी बैठ गया । मैने उससे पहला सवाल यही किया कि भाई ड्राइवर साहब आपने ट्रक के पीछे एक बहुत ही गहरे मतलब का संदेश लिखाया हुआ है यह प्रेरणा आपको कैसे मिली ।
उसने जवाब दिया बाबू जी वक्त बड़ी चीज है यह अच्छे अच्छो को प्रेरणा देता है बस कमी यह है हमे भर पेट रोटी क्या मिलने लगी हमने अब और प्रेरणा लेना बन्द कर दिया, अब लेते ही नही। अच्छा हुआ आपने उसे पढा और मेरे से यह सवाल किया ।
मै पूरे भारत में सड़को पर घूमता हूँ। हजारो लोग इस संदेश को पढते होंगे । अगर उन में से 20% लोग भी मेरा संदेश समझ गए तो समझो मेरा मकसद पूरा हो गया ।
उससे रहा नही गया , उसने जेब से एक परचा निकाला और उसी संदेश पर किसी कवि की एक क्रान्तिकारी कविता सुना डाली जो नीचे लिखी जा रही है ।
मनुवाद के जुल्म सितम से…
फूट फूटकर ‘रोया’ है…!!
धीरे हॉर्न बजा रे पगले…. हिंदू समाज सोया है…!!!
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भूत भविष्य खो चैन’ मिला है… ‘पूरी’ नींद से सोने दे…!!
जगह मिले वहाँ ‘साइड’ ले ले…हो शोषण तो होने दे…!!
किसे जगाने की चिंता में… तू इतना जो ‘खोया’ है…!!
धीरे हॉर्न बजा रे पगले…. हिंदू समाज सोया है…!!!
आरक्षण के सब ‘नियम’ पड़े हैं… कब से ‘बंद’ किताबों में…!!
‘जिम्मेदार’ पिछडों के नेता…सारे लगे गुलामी में…!!
तू भी कर दे झूठे वादे क्यों ‘ईमान’ में खोया है..??
धीरे हॉर्न बजा रे पगले…. हिंदू समाज सोया है…!!!
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ये समाज है ‘सिंह’ सरीखा… जब तक सोये सोने दे…!!
गुलामी की इन सड़कों पर… तू नित शोषण होने दे…!!
समाज जगाने की हठ में तू…. क्यूँ दुख में रोया है…!!
धीरे हॉर्न बजा रे पगले.
हिंदू समाज सोया है…!!!
अगर समाज यह ‘जाग’ गया तो.. शोषक सीधा हो जाएगा….!!
आर.एस एस. वाले ‘चुप’ हो जाएँगे…. और हर मनुवादी रोयेगा…!!
अज्ञानता से ‘शर्मसार’ हो …. बाबा भीम भी रोया है..!!
धीरे हॉर्न बजा रे पगले… हिंदू समाज सोया है…!!!
हिंदू समाज सोया है…!!!
उसने यह कविता सुनाई इस बीच कब हमारे पास चाय आई और कब हमने पीकर खत्म भी कर दी पता भी नही चला ।
_चाय पीकर हम एक दुसरे से जुदा हो गये लेकिन उस ट्रक चालक का अपने हिंदू समाज के प्रति इतनी गहरी चिन्ता से भरा हाव भाव मेरे दिल में उतर गया ।_
_मैं उससे सिर्फ इतना ही कह पाया दोस्त आज से आप अपने आपको अकेला मत समझो आज से मैं भी आपके इस प्रचार का एक अहम हिस्सा हूँ ।_
विशेष आग्रह:
_अगर आप भी इस मुहिम में हिस्सा लेना चाहते हैं तो आपका स्वागत है ।_
आपको संदेश बेहतर लगा हो तो सैकड़ों हिंदू समाज के लोगो को भेज कर सफल एवं जागरूक व्यक्ति बनिए !