
अम्मा
सब्ज़ी का बैग टेबल पर रखते हुए रेखा ने अपने पति से बोला, सुनो “बहुत हो गया अब मुझे यहाँ नही रहना।”
“सब्ज़ी बाले ने धनिया नही दिया क्या फ़्री में?”
रेखा के पति ने अख़बार पढ़ते पढ़ते बोला ।
“मैं मज़ाक़ नही कर रही हूँ सुरेश,” रेखा ने ग़ुस्से में बोला ।
“क्या हुआ सुरेश ने पूछा “। “अरे अम्मा मुझे हर चीज़ पर रोकती टोकती रहती है।अब सुबह सुबह मैं तैयार होकर जाऊँ क्या सब्ज़ी लेने .. सबके सामने मुझे बोल दिया थोड़ा श्रिंगार तो कर लेती .. और खुद ऐसी लग रही थी जैसे दो दिन से बाल भी नही बनाए होंगे।
तुम ही बताओ अम्मा को ये बोलने की क्या जरूरत थी ।
” “मज़ाक़ में बोल दिया होगा”
सुरेश ने बोला ।
“पर मैं मज़ाक़ नही कर रही हूँ तुम दूसरा मकान देखो ..
अम्मा के घर से जो खाना पकाने की महक आती है मैं उस से भी परेशान हो गयी हूँ, पता नही कौन से मसाले डालती हैं मेरा पूरा घर उसी महक से भर जाता है पिछली बार जब तुम्हारे माँ बाबा आए थे वो कितना परेशान हो गए थे याद है ?
और नीतू के ससुराल वाले भी तो पूछ रहे थे बग़ल में कौन रहता है
रेखा ने बोला।
“रेखा तुम्हें ये सब तो याद है और ये याद नही जब हम दोनो के घर वालों ने हमारी शादी को मानने से इनकार कर दिया था .. और हमें घर के अंदर तक नही आने दिया था ,
हमारे पास कोई ठिकाना तक नही था,
तब यहीं अम्मा थी जिसने हमें बिना जातिपात का भेद किए सहारा दिया था और तुम्हें तो माँ का प्यार भी दिया जब नीतू हुई थी घर से कोई देखने तक नही आया था अम्मा ही थी जो तुम्हारे साथ थी ,मै तो काम पर चला जाता था नीतू की मालिश ,
तुम्हारी देखभाल सब अम्मा ने अपने ज़िम्मे ले लिया था” ..
सुरेश के जवाब ने रेखा को बीते हुए 25साल याद दिला दिए.. जब वो पहली बार अम्मा से मिली थी वो बालों पर फूलों का गजरा , माथे पर बड़ी सी बिन्दी और वो हरे बॉर्डर की साड़ी में अम्मा हेमा मालिनी से कम नही लग रही थी .. और मैं डरी सहमी सी सुरेश के पीछे खड़ी थी ।
अम्मा ने सुरेश को उपर वाले कमरे की चाबी दी .. और मुझे अपने साथ घर के अंदर ले गयी..,
अम्मा ने मुझे देख के कहा थोड़ा श्रिंगार तो कर ले .. श्रिंगार औरत का गहना होता है और जो गजरा खुद लगाया था वही मुझे लगा दिया ..
मेरे अटैची से एक लाल साड़ी निकल के मुझे पकड़ा दी और बोला थोड़ा तैयार तो हो जा .. फिर मेरा ग्रहप्रवेश कराया ..और आज भी तो अम्मा ने यही बोला था की थोड़ा श्रिंगार तो कर ले , फिर मैं इतना नाराज़ कैसे हो गयी ।
रेखा ने फटाफट थोड़ा मेकप किया और अम्मा के लिए चाय ले कर गयी .. अम्मा रेखा को देखकर फिर बोली अरे कितनी बार कहा तुझको गजरा लगाया कर अच्छी लगती है गमले से एक फूल तोड़कर अम्मा ने अपने काँपते हुए हाथों से रेखा के बालों में लगा दिया .।
अम्मा बूढ़ी तो हो गई थी पर आज रेखा को वही पच्चीस साल पुरानी अम्मा याद आ रही थी “अम्मा तुम क्यों नहीं गजरा लगाती अब” रेखा ने बोला ।
अम्मा ने सुना ही नहीं शायद, वो तो रेखा के हाथों से बनी चाय पीने में व्यस्त थी , वही स्वाद है तेरे हाथों में , इतने सालों में ना तू बदली ना तेरे हाथों का स्वाद ,अम्मा धीरे धीरे बोल रही थी ।
रेखा मुस्करा रही थी और मन ही मन अपने पति को धन्यवाद बोल रही थी इतने प्यारे ,निस्वार्थ रिश्ते को बचाने के लिए ।